SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1480
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org | । रतायनी १४६६ रती 9765PR FREE (10 रतायनी - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०) वेश्या, रंडी, रतिमंदिर - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) रतिभवन, पतुरिया | रतालू - संज्ञा, पु० दे० [सं० रक्तालु) बाराहीकंद पिंडालु एक प्रकार की जड़, गंठो ( प्रान्ती० ) । केलि-मंदिर, काम मंदिर, भग, योनि । रतियाना* - अ० क्रि० दे० (सं० रति) प्रीति या स्नेह करना, रति की लालसा रखना । रतिरमण पंज्ञा, पु० यौ० (सं०) कामदेव, मैथुन काम केलि, संभोग | रविराइ, रविराई-- वंज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० रतिराज ) रतिराज, कामदेव. रतिराय (दे० ) । रतिराज - संज्ञा, पु० यौ० सं० ) कामदेव | $: रति - संज्ञा, खो० (सं०) दक्ष प्रजापति की परम सुन्दरी कन्या और कामदेव की सौंदर्य की साक्षात् मूर्ति जैसी स्त्री, संभोग, कामक्रीश, मैथुन प्रेम, शोभा शृङ्गार रस का स्थायी भाव ( काव्य०), नायक और नायिका की पारस्परिक प्रीति । कि० वि० (दे०)रती रनी संज्ञा, सी० दे० ( हि० रात ) रात्रि, रैन । रतिक, रतीक कि० वि० दे० ( हि० रती ) रंचक, ज़रा सा किंचित, तनिक, बहुत थोड़ा । पाय ऋतुराज रतिराज को प्रभाव बढ्यौ " मन्ना० । " रतिवंत - वि० (सं०) रतिवान् रतिवाला, सुन्दर, प्रेमी, प्रीतिवान् । खो० - रतिवती । रविशास्त्र - पंज्ञा, पु० यौ० (सं०) कामशास्त्र, काम-विज्ञान | रतिदान - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मैथुन, रती-संज्ञा, खो० दे० (स० रति ) रति, संभोग ! कामदेव की स्त्री, सौंदर्य, कांति, मैथुन । + - संज्ञा स्त्री० दे० (स० रचिका ) रती, गुंजा । क्रि० वि० (दे०) रत्तीभर, रंच, थोड़ासा किंचित्, रतीक । रती चमकना- --- वा० (दे०) भाग्यवान होना, उन्नति करना, प्रभाव दिखाना । रातीवंत - वि० (दे०) भाग्यवान, तक़दीरी । रतीश - संज्ञा पु० यौ० (सं०) कामदेव | रतोपलं- संज्ञा, पु० दे० लाल कमल, लाल पत्थर | दे० ( रक्त | उपल ) | रतौंधी -- संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० ( हि० रात + अंधा ) एक रोग जिसमें रात को बिलकुल दिखाई नहीं देता, नक्तांध (सं०) । रत* -- संज्ञा, पु० दे० ( स० रक्त ) लोहू | रत्ती -- संज्ञा, सी० दे० (स० रक्तिका) घुँघची, गंजा, स्वर्णादि तौलने में एक माशे की तौल का ८ वाँ भाग । मुहा०-- रत्तीभर - aft या रंचक, थोड़ासा । वि० - बहुत ही थोड़ा, किंचित्। - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० रति ) शोभा, छवि | रतिनाथ - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कामदेव | रतिनायक-- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कामदेव | " मनु पंच घरे रतिनायक है "कवि० । रतिनाह - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० रतिनाथ ) कामदेव | रूप देखि रतिनाह लजाहीं " -रामा० । 61 14 रतिपति-संज्ञा, पु० यौं ० ० (सं०) कामदेव | 'ननु रतिपति निज हाथ सँवारे " - रामा० । रतिपद - संज्ञा, पु० (सं०) एक वर्णिक वृत्त (पिं० ) । रतिप्रीता - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) रति में प्रेम करने वाली नायिका ( काव्य० ), कामिनी । रतिबंध - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) काम-क्रीड़ा के श्रासन (कोक०, मैथुन का ढंग । रतिभवन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) स्मर-मंदिर, प्रेमी-प्रेमिका का क्रीड़ा स्थल, मैथुन-घर, योनि, भग, रति-मंदिर | रतिभौन -संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० रतिभवन ) रति भवन | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only (स० रक्तोत्पल) संज्ञा, पु० यौ०
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy