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यक १४४६
यजुर्वेदी करनेवाला, तांत्रिक, तंत्रशास्त्र का ज्ञाता, यक्षिणी-संज्ञा, स्त्री० (सं० यक्षिणी ) कुबेर बाजा बजाने वाला।
की स्त्री, यक्ष की स्त्री या पत्नी, जच्छिनी यक-वि० (सं.) एक, इक (दे०)। यकंग-वि० क्रि० वि० दे० (सं० एकांग)
| यती-संज्ञा, स्त्री. ( सं० यक्षिणी ) यक्षिणी, एकान्त, एकांग ।
यक्ष की स्त्री । संज्ञा, पु० (सं० यक्ष + ईयक-अंगी-वि० दे० सं० एकाँगी) एकांगी,
। प्रत्य. ) यक्ष की साधना करने वाला। यकंगी, इकंगी (दे०) ।
यक्षेश, यत्तेवर-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) यकटक--क्रि० वि० दे० (हि०, लगातार..
कुबेर । निर्निमेष दृष्टि से । “यटक रहे निहारि यशोध-संज्ञा, पु० यो० (सं०) यतों का घर जोग सब प्रेम-सहित दोउ भाई -मन्ना० ।
या स्थान।
यक्ष्मा -संज्ञा, पु० ( सं० यधमन ) एक रोग, यकता-वि० (फ़ा०) अपने गुणादि में
। क्षयीरोग, तपेदिक। यो० राज-यमा ।।। अकेला, अद्वितीय, बेमिनाल, अकेला ।
यवनी-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०, जल में पकाये कंज्ञा, स्त्री--यकनाई-अकेलापन । “एक
हुये माँस का रस, शोरबा। से जब दो हुए ना लुत्फ़ यकताई नहीं"-।।
| यगण --संज्ञा, पु० (सं०) एक लघु और दो यक-वयक, यकारगी--क्रि० वि० (फा०)
गुरु वणों का (Iss) एक गण (पि.) एकाएक, सहया, अकस्मात्, अचानक ।
संक्षिप्त रूप प' । " यगण आदि लघु यकसाँ-वि० [फा०) एक प्रकार के, बराबर,
होय"- कुं० वि० ला० । समान, तुन्य।
यच्छ -संज्ञ, पु० दे० ( सं० यक्ष) एक यकायक - क्रि० वि० मा अचानएक
प्रकार के देवता, जन्छ (दे०)। बारगी, सहमा, एकाएक ।
यजत्र-संज्ञा, पु० (सं०) अग्निहोत्री। यकीन-संज्ञा, पु० (०, एतबार, भरोपा,
यजन----संज्ञा, पु. (सं०) यज्ञ करना । विश्वास, प्रतीति ।
__ “यजनं याजन' तथा"--मनु० । “बहु यकृत-संज्ञा, पु० (सं०) पेट में दाहिनी ओर
यजन काराके, पूज के देवतों को"-प्रि. भोजन पचाने वाली एक थैली, जिगर, काल
प्र०। खंड, वर्म-जिगर, यकृत बढ़ने का रोग। यजमान - संज्ञा, पु० (सं०) यज्ञ करने वाला, यत-संज्ञा, पु० (सं.) देवताओं का एक ब्राह्मणों को दान देने वाला, जजमान भेद जो कुरेर के अधीन है, और निधियों (दे०) । संज्ञा, सो. यजमानी, जजमंती। की रक्षा करते हैं, जच्छ (दे०)।
यजमानी-संज्ञ, स्त्री० (सं० यजमान+ ई-- यक्षकर्दम- संज्ञा, पु० (सं०) एक तरह का प्रत्य.) यजमान के प्रति पुरोहित का धर्मअंगराग या लेप । “ स्वच्छ यक्षकर्दम कर्म, पुरोहिताई, यजमान का धर्म या हियदेवन दै अति ही मिलाखे 'के०६०।। भाव, जजमंती (दे०) । यत्तनाथ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कुबेर, यक्ष- यजु-संज्ञा, पु० सं० यजुर्वेद ) यजुर्वेद । नायक
यजुर्वेद-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चार वेदों में यत्तपति-संज्ञा, पु० यौ० (स०) कुबेर . से एक वेद जिसमें यज्ञों का वर्णन है, यक्षपुर--- संज्ञा, पु० यौ० (५०) अलकापुरी जजुर्वेद (दे०)।। यक्षराज-संज्ञा, पु० यौ० सं०) कुबेर । यजुर्वेदी--संज्ञा, पु. (सं० ययुर्वेदिन ) यजुयक्षाधिप, यक्षाधिपति--संज्ञा, पु० यौ० वेद का ज्ञाता या यजुर्वदानुसार कर्म करने (२०) कुबेर ।
। वाला । वि०-ययुर्वेदीय-यजुर्वेद संबंधी । मा० श० को.--१८२
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