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मौसिया
यंत्री मोसिधा--ज्ञा, पु० (दे०) मौसा। स्यों-संज्ञा, स्त्री० (अनु०) बिल्ली की बोली। मौसी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० मादृष्सा) म्योडी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० निर्गडी) भाता की बहिन, मामी : वि. भोसरा छोटे पीले फूलों की मंजरी वाला एक (प्रान्ती)।
सदा बहार झाड़, ए पेड़, निगुडी, सँभालू । मौसेरा-वि० दे० (हिमोस । रा-प्रत्य०) जितमा वि० (सं०) मृतकल्प, अयसन्नमृत, मौसी के नाते से संबद्ध, मौलो के म्बन्ध मृतप्राय । का । ली. माने।
लान - वि० (सं०) मलिन, मैला, कुम्हलाया भ्यान, न्याऊँ-संज्ञा, स्त्री० (१०) विक्षी की हुया, उदास, दुर्बल । सं० सी० स्लानना । बोली ! यौ० म्याऊं का ठौर ----शुस्य तथा नाना ---संज्ञा, सी. (२०) मैलापन, भय का स्थान, फटिन ग्थत ! हा ... उदासी, मलिनता, मलीनता । म्याँव म्याँध कना-- टर पर धीरे धीरे नाच --- वि० यौ० (सं०) उदास, बोजना, साधीनता स्वीकार र नम्रता सं उदासीन, दुखी, मतानवदन । बोलना।
मिल:--संज्ञा, पु. (१०) अस्पट वाक्य, म्यान--संज्ञा, पु० दे० (० मियान) वचन । कटार और तलवार श्रादि के फल रखने का संज्ञा, पु० (५०) वणश्रिम से रहित खाना, श्रममय कोश, देह : हार जातियाँ । संज्ञा, मोपलेन्टाना। वि०.ग्यान में दो तलवार न रहना। नोच, पापी। ग्याना---स० कि० ० ( हि० स्यात) हा - सर्व० दे० ( हि० मुझ ) मुझे। म्यान में रखना . *संज्ञा, पु० (१०) सियाना, म्हारा, म्हारो --- सर्व० दे० (हि० हमारा) पालकी।
हमारा । सी. म्हारी।
व-संस्कृत और हिंदी की वर्णमाला में मंत्रमंत्र.संज्ञा, पु० गौ० (सं०) जादू टोना, अंतस्थ वर्ण का प्रथम वर्ण, इसका जन-मंत्र, जंतर-मंतर (दे०)। उच्चारण स्थान तालु है:--" इचुपशानाम् संविधा-- संज्ञा, स्त्री. यौ० (सं०) कलों के तालु" । संज्ञा, पु० (सं.) योग, यश, बनाने या चलाने की विद्या, यंत्र विज्ञान । संयम, सवारी, पिाल में याण का संनित यशारदा-एंज्ञा, स्त्री. यो० (सं०) वेधशाला,
वह स्थान जहाँ भनेक तरह की कलें हों, यंत्र --संज्ञा, पु. (सं.) तंत्रशास्त्रानुसार यंत्रागार । विशेष प्रकार से बने कोष्टकादि जन जनर, मंत्रालय-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) छापाखाना, (दे०) हथियार, शौजार, कार, बंदूक, बाजा, कलों का स्थान या घर । ताला, कुफुस्त, किसी विशेषकाय के लिये यंत्रित - वि० (सं०) ताले में बंद, यंत्र या उपयुक्त उपारण।
कन्न के द्वार रोका गा बंद। यंत्रण-संज्ञा, पु. (२०) बाँधना, रता यत्रिका-संज्ञा स्त्री० (सं०) ताला । 'लोचन
करना, नियमानुसार रखना "नयंत्रण। निज पद-यंत्रिका, पाण जाहि केहि वाट" यंत्रणा --संज्ञा, स्त्री० (सं०) दुःख, कष्ट, कुश, ... रामा० । बेदना, दर्द, पीड़ा।
नी--संज्ञा, पु० दे० ( सं० विन् ) यंत्रमंत्र
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