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मेष
मैथुन
१४३६
मेष- संज्ञा, पु० (सं०) भेंड़, प्रथम राशि । | मेहरबानी - संज्ञा, स्त्री० [फा० ) कृपा, दया । मेहरा - संज्ञा, पु० (दे०) स्त्री सी चेटा वाला, जनखा, नपुंसक, खत्रियों की एक जाति, मेहरोत्रा ।
* मुहा० - मीन - मेत्र करना - धागा-पीछा करना, किंतु परन्तु करना । मीनमेघ निकालना थालोचना कर दोष निकालना । वृषण-संज्ञा, पु० (सं० ) इन्द्र | मेष संक्रांति - संज्ञा, त्रो० यौ० (सं०) सूर्य के मेष राशि में आने का योग या वर्षकाल ( ज्यो० ) ।
मेंहदी - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० मेन्धी ) एक काड़ी जिसकी पत्ती से स्त्रियाँ हाथ-पाँव रंगती हैं। " बाँटन वाले के लगे, ज्यों मेहंदी को रंग" - रहो० | पु० मेंहदा बड़ी पत्तियों की मेहँदी । मेह - संज्ञा, पु० (सं०) मूत्र, प्रसव, प्रमेह रोग | संज्ञा, पु० दे० (सं० मेघ) मेघ, बादल. वर्षा, मेंह | संज्ञा, पु० (फ़ा०) वर्षा, बारिश, मड़ी, वृष्टि, बादल ! मेहतर - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) मुसलमान भंगी. हलाल खोर ! स्त्री० मेहतरानी । मेहनत - संज्ञा स्त्री० (अ० ) परिश्रम, प्रयास | यौ० - मेहनत-मशक्कत, मेहनत-मजूरी। मेहनताना- संज्ञा, ५० ( अं० + फा० ) पारिश्रमिक, किसी परिश्रम का फल या मज़दूरी मेहनती - वि० (अ०मेहनत + ई - प्रत्य० ) परि. श्रमी, उद्यमी ।
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मेहमान - संज्ञा, पु० ( फा० ) पाहुना, पाहुन, श्रतिथि। मेहमानदारी - पंज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) श्रातिथ्य, अतिथि सत्कार, पहुनाई, पहुनई । मेहमानी संज्ञा, स्त्री० ( फ़ा० ) पहुनाई,
प्रातिथ्य, अतिथि सत्कार । मुहा०- मेहमानी करना ( व्यंग्य ) - दुर्दशा करना, खूब गत बनाना, मारना, पीटना, सजा देना ।
मेहर, मेहरी- संज्ञा, स्त्रो० ( फा०) दया, कृपा संज्ञा, स्त्री० ( प्रा० ) - मेहरी, स्त्री, पत्नी, जोरू मेहरिया, मेहरारि, मेहरारू (प्रा० ) कहारिन ।
मेहरबान - वि० (का० ) दयालु, कृपालु ।
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मेहरार, मेहरारू - संज्ञा, खो० (ग्रा० ) स्त्री, पत्नी |
मेहराब संज्ञा, खो० ( ० ) द्वार का श्रर्द्ध गोलाकार ऊपरी भाग वि० - मेहराबदार | मेहरी - संज्ञा, खो० (हि० मेहरा) स्त्री, जोरू, पत्नी, श्रौरत / " मेहरी बेहरी देहरी छूटी, वर्गे है प्रेम बढ़ाया" - कुंज० ।
मैं
सर्व दे० (सं० अहं) उत्तम पुरुष सर्वनाम के कत्तीकारक में एक वचन का रूप ( व्या० ), खुद स्वयं, धाप, (श्रव्य ० ) ( ० ) । मै- अव्य० दे० हि० ( मय) मय । मैका - संज्ञा, पु० दे० ( हि० मायका) माँ घर या गाँव स्त्रियों का ), मका, माइक, मायका ग्रा० ) 1
मैगल -
--संज्ञा, पु० दे० (सं० मदगल ) मस्त हाथी वि० - मस्त, मतवाला । मैजल - ज्ञा स्त्री० दे० ( ० मंजिल ) यात्रा, पड़ाव, मंजिल, सराय, खंड । मैत्रायणि --- रुज्ञा, पु० (सं०) एक उपनिषद् । मैत्रावरुणि - सज्ञा, पु० (सं० ) मित्र और वरुण के पुत्र अगस्त्य |
मैत्री - संज्ञा, खो० (सं०) मित्रता, दोस्ती । मैत्रेय - संज्ञा, पु० (सं०) एक ऋषि, ( भाग०), सूर्य आगे होने वाले एक बुद्ध (बौद्ध० ) । मैत्रेयी - संज्ञा, स्त्री० (सं०) याज्ञवल्क्य की स्त्री, ग्रहल्या ।
मैथिल - वि० (सं० ) मिथिला देश का, मिथिला संबंधी ! " मागत्रं मैथिलं विना "
- का० वं० । संज्ञा, पु० मिथिला निवासी । मैथिली - संज्ञा स्त्री० (सं०) सीता, जानकी । "त्रिभुवन जय लक्ष्मी मैथिली तस्य दारा" । ह० ना० । संज्ञा स्त्री० - मिथिला प्रान्त की भाषा | वि० मिथिला-संबंधी । मैथुन - संज्ञा, ५० (सं०) संभोग, रति-क्रीड़ा,
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