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महाब्राह्मण १३८७
महारथ महाब्राह्मण-संज्ञा, पु. यो० (सं० ) महामात्य-संझा, पु. यौ० (सं० ) प्रधान महापान, कट्टहा।
मंत्री, मुख्यामात्य । महाभाग-संज्ञा, पु. यो. (सं०) बड़ा महामाया--संक्षा, स्त्री० यौ० (सं० ) प्रकृति, हिस्सा। वि० -- परम भाग्यशाली, महानु- गंगाजी, दुर्गाजी, थार्या छन्द का १३ वाँ भाव।
भेद (पिं०)। महाभागवत--संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) परम महामारी-संक्षा, स्त्री० (सं०)वबा (प्रान्ती०) वैष्णव, भागवत पुराण. छब्बीस मात्राओं मरी (दे०) हैला, प्लेग, ताजन, एक भीषण का छंद ( पिं० )।
संक्रामक रोग जिसमें बहुत से लोग एक महाभारत-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्री साथ मरते हैं। व्यासकृत १८ पर्वी का एक प्राचीन परम महामालिनी---संज्ञा, स्त्री. (सं०) लघुप्रख्यात ऐतिहासिक महाकाव्य ग्रंथ जिसमें दीर्घ के कम से १६ वर्गों का नाराच छंद । कौरवों और पांडवों के युद्ध का वर्णन है। (पिं०) या जगण और अंत्य गुरू का कौरव-पांडव-युद्ध, कोई बड़ा ग्रंथ, कोई बड़ा एक छंद।
__ महामृत्युंजय---संज्ञा, पु० यौ० (सं०) महामहाभाष्य-संज्ञा, पु. पो. (सं० ) श्री. देवजी, शिव या महाकाल के प्रसन्नतार्थ पाणिन के सूत्रों पर श्री. पतंजलि का भाष्य एक मंत्र।। (व्याक० )।
- महामेदा--संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक कंद । महाभूत - संज्ञा, पु. यो८ (सं०) पृथ्वी, जल, महामोदकारी-संज्ञा, पु० (सं०) क्रीड़ाअग्नि, वायु और आकाश ये पाँचों तत्व या चक्र, एक वणिक वृत्त (पि०)। पंच महाभूत।
। महाय*-वि० दे० (सं० महा) बहुत, महामंत्र--संज्ञा, पु० यो० ( सं० ) बड़ा और
महान् । “तम जानहु मुनिवर परम, रूप प्रभावशाली मंत्र, बड़ा मंत्र, अच्छी सलाह ।
अनूप महाय".- रामा० । या मंत्रणा। "महामंत्र जोइ जपत महेसू" महायज्ञ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नित्य किये ----रामा० :
जाने वाले पं महायज्ञ या कर्म, ब्रह्मयज्ञ, महामंत्री-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) प्रधान देवयज्ञ, पितृयज्ञ, भूतयज्ञ, नृयज्ञ (धर्मशा०)। मंत्र', सुख्यामात्य ।
महायात्रा--ज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) मरण, महामति ---वि० यौ० (२०) बड़ा बुद्धिमान् । मृत्यु, परलोक यात्रा।. हामहिम--वि. यौ० (सं० महा -- महिमा)महायान-संज्ञा, पु० (सं०) बौद्धों के तीन महान् महिमा वाला, महापुरुष ।
संप्रदायों में से एक। महामहोपाध्याय--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) महायुग-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चतुर्यगी, गुरुत्रों का गुरु, भारत में एक उपाधि जो चतुर्युग-समूह, सत्य, त्रेता, द्वापर और संस्कृत के विद्वानों को सरकार देती है कलियुग इन चारों युगों का योग । ( वर्तमान)।
महायौगिक--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) २६ महामांस-संज्ञा, पु० यौ ० ( सं० ) गो-मांस मात्राओं के छंद (पिं०)। नर मांस ।
महारंभ-वि) यौ० (सं०) बहुत ही बड़ा, महामाई-(दे०) स्त्री० चौ० दे० (सं० महा - महान् प्रारम्भ वाला । माई-दि०) दुर्गा देवी, कालीजी, महामाता। महारथ-पंक्षा, पु० यौ० (सं०) बहुत बड़ा
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