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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मनमोहन मनमोहन वि० यौ० ( हिं० मन + मोहन ) मन को मोहने वाला, प्रिय, चित्ताकर्षक, प्यारा । स्त्री० मनमोहनी | सज्ञा, पु० - श्रीकृष्ण जी एक मात्रिक छंद (पिं० ) मनमौजी - वि० ० ( हि० मन + मौज + ई - प्रत्य० ) इच्छानुसार या मन की मौज से कार्य करने वाला | १३६७ मनरंज - वि० दे० (सं० मना रंजक ) मन को प्रसन्न करने वाला । मनरंजक - वि० दे० (सं० मनोरंजक ) मन को प्रसन्न करने वाला | मनरंजन -- वि० यौ० दे० ( सं० मनोरंजक ) चित्त को प्रपन्न करने वाला, मनोविनोद | मनरोचन - वि० सौ० (हि० मन । रोचन ) मनभावन, सुन्दर, रोचक, रुचिर । मनल, मनलाडू - संज्ञा, ५० दे० यौ० ( हि० मनमोदक ) मन मोदक | मनशा, मंशा - संत्रा, खो० (०) इरादा, इच्छा. तात्पर्य, मतलब, विचार मनसा मंसा (दे० ) | मनसना* - स० कि० दे० ( हि० मानस ) इरादा या इच्छा करना हद विचार या निश्चय करना, हाथ में पानी ले संकल्पमंत्र के साथ कुछ दान करना । मनसत्र - संज्ञा, पु० ( ० ) पद, थोहदा, स्थान. अधिकार, कार्य, काम । का जिसके रुतबा हो फीलोनिशाँ तलक - सौदा ! मनसब ܕ. मनसबदार - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) श्रहदेदार पदाधिकारी | संज्ञा, स्त्री० मनसबदारी | मनसा मंसा - संज्ञा, खो० (सं०) एक देवी का नाम | संज्ञा, स्त्री० दे० ( अ० मनशा ) मनोरथ, अभिलाषा इच्छा. कामना, अभिप्राय, इरादा, संकल्प, विचार, तात्पर्य, बुद्धि मन । वि० (सं०) मन से उत्पन्न, मन का संज्ञा, पु० (सं०) क्रि० वि० (सं०) मन से, मन के द्वारा इरादा, इच्छा 'जो व्रज में आनंद तो सो मुनि शक्ति मानसन गहै। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मनहर सूर० । " मनसावाचा कर्मणा, जो मेरे मन राम :- रामा० । मनसा भयो किसान- तु० । मनसाकर - वि० ( हि० मनसा + कर ) मनोरथ पूरा करने वाला | मनसान 1- अ० क्रि० दे० ( हि० मनसा ) उमंग या तरंग में थाना । स० क्रि० दे० ( हि० मनसना का प्रे० रूप) मनसवाना | मनसायनां वि० द० ( हि० मानुस ) मनोविनोद का मनोरम स्थान या जगह, गुलज़ार | ". मनसिज - संज्ञा ५० (सं०) कामदेव | • खेलत मनसिज-मीन जुग 15 रामा० । मनसुख - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मन को प्रसन्न करने वाला मन का सुख । मनसुख - वि० (०) परिव्यक्त, श्रप्रमाणिक, त्यागा हुआ, प्रतिवर्तित | संज्ञा, त्रो०मनसुखी । मनसूबा - - संज्ञा, पु० (०) विचार, ढंग, युक्ति, इरादा | मुहा०-- मनसूबा बाँधना --- युक्ति सोचना, इच्छा करना । मनस्क - संज्ञा, पु० (स० ) छोटा मन, मन का अत्पार्थक रूप | जैसे - अन्यमनस्क । मनस्ताप संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मन का दुख, मन पीड़ा, पछतावा, यांतरिक दुख, पश्चात्ताप | :" मनस्विता - संज्ञा स्त्री० (सं०) स्वेच्छानुकूलता, बुद्धिमत्ता, शूरता । मनस्वी - वि० (सं० मनस्विन् ) बहादुर, बुद्धिमान त्रो० मनस्विनी । " श्रभिमानतो मनस्विनः प्रियमुच्चैः पदमारुरुत्ततः किरात० । " मनस्वी कार्यार्थी न गणयति दुखं न च सुखम् " भर्तृ । मनहंस - ज्ञा ० ( हि०) मानसहं, १५ वर्णों का एक वर्णिक वृत्त (पिं० ) । संज्ञा, यौ० (सं०) हंस रूपी मन या मन रूपी पु० हंस | मनहर - वि० दे० (सं० मनोहर ) मनोहर । संज्ञा, पु० -- घनाक्षरी छंद (पिं० ) । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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