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मन
मनः
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पाशा पर प्रपन्न होना । मन-मोदक से संतोष हो जाना, इच्छा पूर्ण हो जाना । भख मिटाना (बुझाना)-व्यर्थ की कल्पित मन में रहना-गुरु रहना, बाहर प्रगट न बात (आशा) से प्रपन्न होना। “मन-मोदक कहुँ होना. सदा याद रहना, अति प्रिय होना । भूव वुझाई "रामा । मन चलना (का मन भाना--पसंद श्राना, भला या अच्छा चलायमान होन) (चलाना)-इच्छा लगाना, रचना ! मन मानना-संतोष या होना (करना), प्रवृत्ति होना (करना) । तपल्ली होना, निश्चय या प्रतीत होना. (किसी का) मन टटोलना-दिल का अच्छा लगना, पसंद आना. प्रेम, स्नेह पता लगाना. मन का थाह लेना । मन या अनुराग होना । “ मन माना कछु तुमहि डोलना--मन का चंचल हाना, लालच । निहारी" -रामा० । मन में रखनाया लोभ उत्पन्न होना । सन देना - जो गुप्त रखना छिपा रखना, स्मरण या याद लगाना, ध्यान देना. दिल देना, प्रेम करना, रखना । मन पाना-मन का भेद जानना, इरादा या भेद प्रगट करना। मन (दिन) स्वीकारता का भाव देखना । मन में देखना --- हृदय का भाव देखना । (किमो लाना .. सोचना, विचारना । मन में न पर) मन धाना----मन लगाना, ध्यान । ताना-बुरा न मानना । मन मिलना--- देना। मन में धमना-मन में प्रवेश स्वभाव या प्रकृति मिलना । " प्रकृति मिले करना, दिल में चुभना, चित्त में पैठना । ' मन मिलत हैं" --वृंद० । मन मारना---- मन तोड़ना या हारना-हिम्मत या : खिन्न या उदास होना, इच्छा को दबाना । माहस छोड़ना । पान शालना (किमी. मन मला करना --असंतुष्ट होना, अप्रसन्ना का)---किसी की इच्छा पूरी करना, होना । " परपत मन भैला करै' ----कवी । तदनुकूल करना : “ब तो हमारा मन मन मोटा हाना-उदासीन या विराग राखते बनेगी तोहि रत्ना मन फेरना होना । मन मोटाव-होना (करना)---- (फिरना,-मन हटाना (हट जाना)। मन में वैमनस्य या विलगाव होना (रखना) । सन बसाना बमना-स्मृति में रखना रहना सन मोड़ना - विचार या प्रवृत्ति को दूसरी में पैठना-दिल की बात खोजना, अति प्रेम । ओर लगाना : (किसी का) मन रखनाकरना. दिल में रखना, दिल पर प्रभावित इच्छा पूर्ण करना । मन लगना-जी या होना, सदा याद रहना । सन बढ़ाना बढ़ना- । तबियत लगना, रुचना, ध्यान लगना, साहम दिलाना, होना) उत्साह बहाना बढ़ना। मनोविनोद होना । मन लाना--मन मनमें बमना (रहना)-यच्छा लगना, पसंद लगाना, प्रेम करना । मन से उतरना--- श्राना, रचना, याद रहना, सदैव स्मृति में मन में श्रादरभाव का न रहना, विस्मृति रहना। मन बहलाना या बहलना-दुखी या होना, मन का भाव बुरा होना । मन ही उदासमन को किसी कार्य में लगाकर प्रसन्न मन (मन मन)- चुपचाप, दिल में ही, करना, मनोरंजन या मनोविनोद करना होना) । "मन ही मन मनाय अकुलानी" -- रामा० । मन भरना -विश्वास या निरचय होना, इच्छा, विचार । लोभन मन भाये, संतोष होना, इच्छानुकूल प्राप्त करना (देना) । मडिया इला"। मुहा०--मन मानामन में घर करन... दिल पर अधिकार अपने मन के अनुसार, यथेच्छ, यथेष्ट । करना, हृदय में बन जाना। "मेरे मन में सज्ञा, पु० सं० मगि ) मणि, रन । घर किये लेती हैं ये") --मन भरजाना - मनई--संज्ञा, पु० दे० (सं० मानव ) प्रघा जाना, तृप्ति हो जाना, निश्चय या | मनुष्य ।
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