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मधुपर्श
मध्यता
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मधुपर्श-संज्ञा, पु. (सं०) पका और रसभरा, मधुरता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मिठाई, मधुराई, फल ।
मिठास, मृदुता, सुन्दरता । मधुपुर, मधुपुरी --- संज्ञ', स्त्री० यौ० (सं०) मधुरा--संज्ञा, स्त्री० पु. (सं०) मदरास प्रांत मथुरा नगरी । "बजे वपन किमकरोन्मधु- का एक प्राचीन नगर, मदुरा, मडुरा, मडूरा, पुयां च केशवः ".-- भा. द. ।
मदूरा, मथुरापुरी। मधुप्रय--प्रज्ञा, पु० (सं०) मौहा। मधुराज-संज्ञ, पु० यौ० (सं०) भौरा, भ्रमर । मधुप्रमेह-ज्ञा, पु० (सं०) मधुमेह, मधुरान -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मिठाई,
गाढे और अधिक मूत्र का एक रोग (वैद्य०)।। मिष्टान्न । मधुबन, मधुवन--संज्ञा, पु० यौ० (सं०)
मधुराना* -अ० क्रि० दे० (हि. मधुर+ व्रज का एक वन, सुग्रीव का बाग, ‘मधुवन |
अाना---प्रत्य० मीठा या सुन्दर होना। तुम कस रहत हो" सूर० । “मधुवन के फल | मधरिमा---पंडा, स्त्री० (सं० मधुरिमन् ) सक को खाई 'रामा० ।
मिठाप, सुन्दरता। मधुभार--संज्ञा, पु० (सं०) एक मात्रिक छंद
रधुरिपु-हाझा. पु० यौ० (सं०) विष्णु, कृष्ण । (पिं०)।
माधुरी--संज्ञा. स्त्री० (सं० माधुर्य ) मधुमक्खी --संज्ञा, स्री० दे० यौ० (सं०
सुन्दरता, सौंदर्ग: । मधुरी नौबत बजत मधुमक्षिका) मधुमानी (दे०), मधुमनिका,
कहूँ नारी-नर गावत'-- हरि० । माखी, फलों का रस चूस कर शहद इकट्ठा करने वाली मक्खी।
मधुवन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) गोकुल के मधुमक्षिका-ज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) मधु
समीप का यमुना तट पर एक वन, सुग्रीव
का वन (किष्किंधा)। मक्खी, मधुमाळी (ग्रा०)। मधुमती-पक्षा, स्वी० (६०) एक वर्णिक
मधुवामन-संक्षा, पु० (सं०) भौरा, भ्रमर । वृत्त । (दो नगण और एक गुरु वर्ण से
मधुवन--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) भौंरा. भ्रमर । बनी) (पि.)
| मधुशर्करा : संज्ञा, पु. यो० (सं०) शहद मधुमाखी. मधुमाको...|ज्ञा, स्त्री० दे० यौ०
। की बनी हुई चीनी।। ( सं० मधुमक्षिका ) मधुमक्षिका, मधुमक्खी
मधुमख, मधुसखा -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मदमाखी (ग्रा०)।
मधुमित्र, कामदेव । मधुमालती-- संज्ञा, स्त्री. (सं०) मालती |
मधुसूदन-संज्ञा पु० यौ० (सं०) मधु-रिपु, लता।
श्रीकृष्ण । मधुमेह-संज्ञा, पु० (सं०) अति अधिक और मधुसेवी--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) भ्रमर । गाढ़े मूत्र होने का एक प्रमेह रोग (वै०।।
महंता-- संज्ञा, j० यौ० (सं०) विष्णु, कृष्ण । मधुयप्रि--संज्ञा, स्त्री० (सं०) मुलहटी. मुलैठी, मवृक-संज्ञा, पु. (सं०) दाख, मौहा। मौरेठी।
अकरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० मधुकरी) मधुर-वि० (सं०) मीठा, सुनने में सुखद,
__ मधुकरी, बाटी। सुन्दर, मनोरंजक, हलका : "मधुर वचन तें मध्य---संज्ञा, पु० (सं०) बीच का हिस्सा, जात मिटि, उत्तम जन अभिमान"... नीति।। बीचोंबीच, कटि, अंतर, भेद, १७ वर्ष से संज्ञा, स्त्री० मधुरता।
७० वर्ष तक कीयवस्था (सुश्रु०) "मध्य प्रदेश मधुरई मधुराई* --- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० केशरी सुगज गति भाई है" रामः । मधुरता ) मधुरता, मिठाई, मधुरिमा। मध्यता-संज्ञा, सी० (सं०) मध्य का भाव ।
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