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मदाइन १३:२
मधुपर्क मदाइन-संज्ञा, स्त्रो० (दे०) शराब, मद की। मद्यप, मद्यपी-वि० (सं०) मदिरा पीने देवी।
वाला, शराबी। मदानि*---वि० (दे०) कल्याणकारी। मद्र--संज्ञा, पु० (पं०) रावी और झेलम मदार-संज्ञा, पु० दे० ( सं० गंदार ) आक। नदी के बीच का देश, उत्तर-कुरु देश मदारी-संज्ञा, पु० द. अ. मदार ) । (प्राचीन)। कलंदर, बाजीगर, तमाशिया, मदारिया, मध मधि--- सज्ञा, पु. द. ( सं० मध्य ) एक मुसलमान जो बंदरादि नचाने या बीचों बीच, मध्य : अध्य. .... में । विचित्र खेल-तमाशे दिखाते हैं।
मधिम* --वि. द. (सं० मध्यम ) मध्यम । मदालसा-संज्ञा, स्त्री० (सं.) विश्वावसु । मधु-सज्ञा, पु० (सं.) शहद, पानी, मदिरा, गंधर्व की पुत्री जिसे पातालकेतु दानव । मकरद, वसंत ऋतु. चैत महीना, विगु से पाताल ले गया था (पुरा०) ।
मारा गया एक दैत्य, एक यदुवंशी, श्री कृष्ण, मदिया---संज्ञा, स्त्री० दे० ( फ़ा० मादा ) अमृत, शिवजी, मुलहटी, दो लघु वणों स्त्रीलिंग जीवधारी,मादा (विलो. नर । । का एक छंद (पि०) । " मधु वसंत मधुचैत मदियाना-अ. क्रि० दे० (हि. मद) है मधु मदिरा मकरंद, मधुपै मधु,हरि, नशे में होना, सुस्त पड़ना।
मधुसुधा मधु,माधव, गोविंद"-भा० अने० । मदिरा--संज्ञा, स्त्री० (सं०) मद्य, शराब, मधुकर--संज्ञा, पु. (सं०) भ्रमर, भौरा, सुरा, दारू, वारुणी, २२ वर्गों का एक एक प्रकार का चावज, मधुमाखी। "मधुकरैवर्णिक छंद, मालिनी (पि०) उमा, दिवा।। रिवनादकरैरिव'- माघ । मदीय-वि० (सं०) मेरा । सो. मदाया। मधुकरी-संज्ञा, सी० ( सं० मधुकर ) भौंरी, मदीता--वि० दे० (हि० मद । इला-प्रत्य०) वह भिवा जिसमें थोड़ा सा पका अन्न नशीला, मादक, नशेदार, मदोत्पादक। लिया जावे, मधुकरी, बाटी । “माँगि मदुकल-संज्ञा, पु० (दे०) दोहे का एक भेद। मधुकरी खाँहि ''---रही। मदोन्मत्त -वि. यौ० (सं०) मदांध, नशे में माकेटम--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मधु और चूर, मद या गर्व से प्रमत्त । सज्ञा, स्त्री० कैटभ नामक दो दैत्य भाई. जिन्हें विष्णु ने मदोन्मत्तता।
मारा था (पुरा०)। मदोवे*--संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० मंदोदरी) मधुकोप-संज्ञा, पु. यौ० (सं.) फूलों में रावण की रानी, मन्दोदरी, मदाबार, रस का स्थान, शहद का छत्ता। मँदोदरि (दे०)। " ठाढी हूं मदोवै रोय मधुचक्र--संज्ञा, पुरु यौ० (सं०) शहद की रोय कै भिगोवै गात "कवि०।
मक्खी का छत्ता। मद्धिम -वि० दे० (सं० मध्यम) मध्यम, | मधुच्छद--संज्ञा, सो० (सं०) मोर की शिखा.
औसत दर्जे का, कम न ज़्यादा, मन्दा, _मोर शिखा बूटी। अपेक्षाकृत, कम अच्छा । मुहा०-चंद्रमा | मधुजा--संज्ञा, स्त्री. (सं०) भूमि, पृथ्वी । (अन्यग्रह)का मद्धिम होना----चंद्र श्रन्यग्रह मधुर----संज्ञा, पु. (सं०) मधुलिह, भौंरा,
का प्रभाव अच्छा न होना (ज्यो०)। भ्रमर, उद्धव । स्त्री. मधुपी। मद्धे--प्रव्य० दे० ( सं० मध्ये ) बीच में, में, मघाति-- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) श्रीकृष्ण । विषय में, संबंध में, बाबत ।
मधुपक-संज्ञा, पु. (सं०) दही, घी, शहद, मद्य--संज्ञा, पु० (सं०) सुरा, मदिरा, दारु चीनी और जल का मिला हुआ पदार्थ जो वारुणी, शराब ! यौo-महा-मांस। | नैवेद्य में काम आता है।
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