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मददगार
मदाँध
मददगार-वि० ! फ़ा० ) महायक, पहायता । मड़न-मनोहर-~- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) करने वाला।
श्रीकृष्णचंद्र, मनहर. दंडक छंद का एक भेद मदन--संज्ञा, पु. १०) काम-कीड़ा, (पि०) । वि० यौ० (सं०) कामदेव से सुन्दर, कामदेव, कंदर्प, मैनफल, भ्रमर, सारिका, इननोरम । “मदन-मनोहर-मूरति मैना, प्रेम, रूपमाल छंद (पिं० ) छप्पय 1. जोही"--रामा का एक भेद ( पिं० ) । " मदन-ताप भरेण मदन-मलितका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मल्लिका विदीर्य नो" - नेप० : यो० ( मद+न) नाम का एक छंद (पि०)। मद-होन । यो प्रदन पी --काम-व्यथा, मदनमस्त---संज्ञा, पु० यौ० (हि. मदन + मस्त) मदनम्बर-कामज्वर ।।
चंपा की जाति का एक फूल । वि० यौ० मदनकदन -- ज्ञा, यौ० (सं.) (हि.) काम-दर्प से प्रमत्त । महादेवजी, शिवजी : “ अब यह सब कहि सदनमहोत्सव --संज्ञा, पु. यौ० (सं०) चैत्र देयगो, मदन-कदन-कोदंड"-राम
शुक्ल द्वादशी । चतुर्दशी तक होनेवाला एक मदनगोपान--संज्ञा, . यौ० (सं.) प्राचीन उत्सव । श्रीकृष्णजी । "रार करहु जनि मदन- मदनमित्र--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चंद्रमा । गोपाला' बज. वि०
मदनमोदक---संज्ञा, पु० (सं०) मदनोद्दीपक मदनचतुर्दशी-संज्ञा, सो० यौ० (सं०) चैत्र
। पौष्टिक औषधियों के लड्डु, सवैया छंद का शुक्ल चतुर्दशी।
एक भेद (पि०) सुन्दरी छंद (केशव०) । मदनजल-- सज्ञा, 'पु० यौ० (सं०) मद नीर, कमावेश से लिंग निकला साव, वीर्य
मदनमोहन--संज्ञा, पु० यौ० (सं०)
श्री कृष्ण । मदन-रस। मदन-ताए ---- पंज्ञा, पु. यौ० (सं०) काम
मदनललिता---संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक
वणिक वृत्त (पि.)। मदन-दार---संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कंदर्प दर्प । मदनपाटक--- संज्ञा, पु. पो. (सं.) कोयल (सं०) भग, योनि । मदनल -संज्ञा, पु. य० (सं०) मैनफल
मदनहरा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) ४० मात्राओं (ोष०)।
का एक छंद (वि०)। मदनबंधु--संज्ञा, पु. यो. (सं०) बकुल,
| मदनोत्सव-ज्ञा, पु. यौ० (सं०) मदनमौलसिरी।
महोत्सव। मदनबाण, भदनवान --- संज्ञा, पु. यौ० ममत, मदमरल--- वि० यौ० (सं०) नशे से (सं० मदनवागा ) कामदेव के वाण, एक
मत्त, मतवाला । संज्ञा, स्त्री-मदमत्तता । प्रकार के बेले का फल । " मदन-बाण डर | मदर* ----संज्ञा, पु० दे० (सं० मंडल ) ग्यारी " भा० गीतगो०।।
मँडराना। संज्ञः, स्त्री० (अं०) माता। मदनमंदिर--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) स्मर- मदरसा--- संज्ञा, पु. (अ.) पाठशाला, मंदिर, भग, योनि।
विद्यालय । मदन मनोरमा- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) मदलेखा---संज्ञा, स्त्री. (सं०) एक वर्णिक सवैया का एक भेद केशव०) । वि. यौ० वृत्ति (काव्य) । (सं०) काम की मनोरमा या प्यारी, रति, मदांध-वि० गौ० (सं०) नशे में चूर, दुर्मिल सवैया (पि०)।
। मदोन्मत्त, गर्व से अंधा, महाअभिमानी। भा. श० को.---१७१
ज्वर।
न-संज्ञा,
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