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मटियाना
मडैया मटियाना-स० कि० दे० ( हि० मिट्टी+ मट्टी- संज्ञा, स्त्री. (दे०) एक पकवान, पाना-प्रत्य०) मिट्टी लगा कर माँजना, मठरी, माठ (दे०)। मिट्टी से ढंकना।
मठ--संज्ञा, पु० (सं०) साधुयों के रहने का मटियारा-संज्ञा, पु० (दे०) वह खेत जिसमें
स्थान, पर, मकान, मन्दिर, बासस्थान । मिट्टी अधिक हो. मटियार (दे०)।
| मठधारी --- संज्ञा, पु० (सं० मठधारिन् ) मटियाव - संज्ञा, पु० (दे०) उपेक्षा, उदा- मठाधीश. महन्त । सीनता, थानाकानी करना।
ठरी---- संज्ञा, स्त्री० (दे०) मट्ठी, एक पकवान । मटियाममान-वि० यौ० दे० (हि.)
मठा--रज्ञा, पु० (सं० मंथित) मट्ठा, माठा। गयाबीता, नष्टप्राय, बहुत बिगड़ा हुआ। मठाधीश--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) मठधारी मटियामेट-- वि० यौ० दे० (हि.) नष्टप्राय, मठराज, महन्त । सत्यानाश, बरबाद, खराब, भ्रष्ट । मठिया---- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० मठ - इया मटियाला-मटियारा--- वि० दे० (हि.
---प्रत्य.) छोटा मठ या कुटी। संज्ञा, स्त्री० मटमैला ) मटमैला । संज्ञा, पु. (दे०) मिट्टी
(दे०) फूल धातु की बनी चूड़ियाँ । भरा खेत।
मठी-पढ़ी-संज्ञा, स्रो० (हि. मठ---ई. मटीला-वि० दे० ( हि० मिट्टी ) मिट्टी से ।
- प्रत्य. ) छोटा मठ, मठ का स्वामी या सना, मटमैला। मटुका-संज्ञा, पु० दे० (हि. भटका) मटका,
महंत, गठधारी, मठाधीश।
राठोर -- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० मंथन) दही माट। मटुकिया-मटुकी। -- संज्ञा, स्त्री० द० (हि.
मथने या महा रखने की मटकी। मटकी) मटकी ।
मड़ई।- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० मंडप ) छोटा मट्टी-मिट्टी -- संज्ञा, स्त्री० द० ( सं० मृत्तिका )।
मंडप, झोपड़ा, कुटिया, पर्णशाला । संज्ञा, मृत्तिका, मिट्टी, मृतशरीर । महा--प्रटी पु० (प्रान्ती.) प्रादमी। करना-नाश करना, बिगाड़ना, खराब
सड़क- संज्ञा, स्त्री० (अनु०) भीतरी रहस्य, या बरबाद करना । मट्टी खाना- गुप्तभेद । धूल फाँकना, मान खाना, पीड़ा देना। मड़वा- संज्ञा, पु० दे० (सं० मंडप) मंडप । मट्टी डालना --- तोपना, छिपाना, मूंदना, मड़हा-महा--संज्ञा, पु. (प्रान्ती ) भीतरी झगड़ा मिटाना, दोष छिपाना । मट्टोदना | दालान चा कोठा। -~मुर्दा गाड़ना या दफ़नाना । भट्टी पर भड़ाई- संज्ञा, पु० (दे०) छोटा सा कच्चा लड़ना-भूमि के लिये झगड़ना, व्यर्थ की ताल या गया, पोखरा। छोटी सी बात पर लड़ना। सही में मड़ियाना-स० क्रि० दे० (हि. माड़ी) मिलना ( मिलाना )---नष्ट होना __ माड़ी लगाना, चिपकाना। (करना) खराब या बरबाद होना (इरना) | मडुअा-मडवा-संज्ञा, पु० (दे०) बाजरे की मिट्टी खराव करना । मट्टी होना- किस्म क एक अन्न । बेकार या सत्यानाश होना।
मडैया- संज्ञा, पु. स्त्री० दे० (सं० मंडप ) मग-वि० (दे० प्रालसी, सुस्त । झोपड़ी, पर्णशाला, कुटिया, कुटी। " यहाँ मटा-संज्ञा, पु० ६० (सं० मंथन ) मक्खन- हती मोरी छोटी मडैया कंचन महल खडो" रहित मथा हुआ दही, मठा, माठा मा०) -स्फुट" । "सरग-मडैया सब काहू की कोऊ मही, छाँछ, तक्र
श्राज मरे, कोउ काल-पाल्हा० ।
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