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मजेज
मटरी
संज्ञा, पु० (दे०) मज़दूर (फ़ा०)। संज्ञा, स्त्री० मटक-संज्ञा, स्त्री० ( सं० मट = चलना + क (दे०) मजुरी, (फा० मजदूरी )।
---प्रत्य०) चाल, गति, मटकने का भाव मजेज*-वि० दे० (फ़ा० मिाज) मिज़ाज़, यौ० चटक-मटक । अहंकार, घमंड।
मटकना-अ० कि० द० (सं० मट-- चलना) मजेदार --वि० (फा०) स्वादिष्ट, श्रानंदप्रद । अंग हिलाते या मटकाते चलना, नखरे के मज्ज-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० मज्जा ) हड्डी
साथ अंग चलाना या चलाने चलना, के भीतर का एक शारीरिक धातु या गृदा, हिलना, फिरना, विचलित होना, हटना। मज्जा ।
स. रूप-भटकाना, प्रे० रूप-मटकवाना)। मज्जन-संज्ञा, पु० (सं०) नहाना, स्नान । ___" मटकत श्रावै मंजु मोर को मकुट माथें " "मज्जन करि सर सखिन समेना'-रामा० ।
-~~~-रना। मज्जना-अ० कि० दे० ( सं० मज्जन ) स्नान मटकनि--- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० मटकना) करना, नहाना, गोता लगाना, डूबना।।
नाचना, नृत्य, नखरा, मटक । मझ-मझ*-क्रि० वि० दे० (सं० मध्य ) मटका----संज्ञा, पु. द. (हि० मिट्टी-- का बीच, माँझ।
----प्रत्य० मिट्टी का बड़ाघड़ा, माट,मट । मझधार-संज्ञा, स्त्री० दे० यो० ( हि० मझ मटकी-मटकी-संहा, स्त्री० दे० (हि. --- मध्य ---धार = धारा ) नदी की बीच
मटका) छोटा मटका । "दुधौ खायो दहियो धारा, किसी कार्य का मध्य या बीचोबीच । खायो मटकी डारी फोर''सूर० । संज्ञा, मझला-मझिला- वि० दे० ( सं० मध्य ) स्त्री० द० (हि० मटकाना ) मटकने या मटकाने
बीच का । स्त्री० मझिली, फली। का भाव, मटक। मझाना-मभावना*--स० कि० दे० (सं० मटकीला---वि. ( हि० मटकना - ईलामध्य) प्रविष्ट करना, बीच में सना, धुसना। प्रत्य० ) मटकने या नखरे से अंग चलाने अ० कि० पैठना, प्रविष्ट होना।
वाला। मझार*-कि० वि० दे० ( सं० मध्य) मटकाअल-मटकौवल-- संज्ञा, स्त्री० दे० बीच में, मॅभारा (दे०) ।।
(हि. मटकना ) मटक, मटकने का भाव । मझियाना--अ० कि० दे० ( हि माझी ) | मटमैला-वि० यौ० दे० (हि० मिट्टी + मेला) नाव खेना, मल्लाही करना। अ० कि० दे० मिट्टी के रङ्ग का, धुलि या खाकी । स्रो० (सं० मध्य ---इयाना-प्रत्य. ) बीच में से मटमैली। होकर निकलना, मझाना ।
मटर--संज्ञा, पु० दे० ( सं० मधुर ) एक मोट मझियार-मझियारा*- वि० दे० ( सं० अन्न, इसकी लम्बी लम्बी छीमियों या मध्य ) बीच का।
फलियों के भीतर गोल दाने होते हैं। मझोला-वि० दे० ( सं० मध्य ) मझला, मटरगश्त- संज्ञा, पु० यौ० दे० (हि० महर
बीच या मध्य का, मध्यम डीलडौल का। -- मंद-1 फा० ... गश्त ) सैरसपाटा, टहलना, मझोली- संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० मझोला ) घूमना । संज्ञा, स्त्री० मटरगश्ती। एक तरह की बैलगाड़ी। टि. स्त्री. मध्यम मटरा- संज्ञा, पु० (हि० मटर ) बड़ा मटर, श्राकार की।
एक रेशमी कपड़ा। मट-माटा-संज्ञा, पु० दे० ( हि० मटका ) मटी--- संज्ञा, स्री. (हि. मटरा ) छोटा मटका, घड़ा।
मटरा ।
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