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मड़ीड-मरोड़-मडोड़ा
१३५८
मतलब मडोड-मरोड-मडोडा-संज्ञा, पु. (दे०) मणिबंध-संज्ञा, पु. पौ० (सं०) कलाई, मरोड़ा (दे०) ऐंठ, पेट का दर्द या शूल। गट्टा, नव वर्णो का एक छंद (पि०)। मडोड़ना-मरोड़ना-अ० क्रि०(दे०) ऐंठना, मणि-मंडप-संज्ञा,पु० यौ० (सं०) रत्नमय गृह। बल देना।
मणिमंदिर--संज्ञा, पु. यौ० (सं.) रनमय मढ़-वि० दे० ( हि. मट्टर ) धरना देने या गृह । अड़ कर बैठने वाला, दुराग्रही।
मणिमय-वि० (सं०) मणियों से बना, मणि मढ़ाई-मदवाई-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि.। जटित । मढ़ना) मदने या मढ़ाने का भाव, कार्य या मणिमाल-मणिमाला--संज्ञा, स्त्री० यौ० मजदूरी।
(सं०) १२ वर्णा का एक वृत्त (पि० ), मढ़ाना-स० क्रि० दे० ( सं० मंडन ) चारों मणियों का हार या माला।
ओर से लपेट लेना, थारोपित करना, मणिहार --संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मणिमाला। श्रावेष्टित करना, डोल श्रादि बाजे के मुँह मणियाना- संज्ञा, पु० (स०) कुबेर का दास । पर चमड़ा चढ़ाना, किसी के गले लगाना, मणी-संज्ञा, पु० ( सं० मणिन् ) साँप, सर्प, या पड़ना, किसी के मत्थे थोपना । मुहा० संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० मणि)---मणि, रत्न । -मत्थे मढ़ना । स० रूप मढ़ाना,प्रे० रूप मतंग-संज्ञा, पु० (सं०) हाथो, शवरी के गुरु मढ़वाना । ---प्र. क्रि० (दे०) मचाना, एक ऋषि, बादल । स्त्री० मतंगिनी । श्रारंभ होना, मढ़ावना, मढ़ाना। मतंगी-संज्ञा, पु. ( सं० मतंगिन् ) हाथी मढ़ी, मदिया-संज्ञा, स्त्री० दे० (२० मध्य का सवार ।
छोटा मठ झोपड़ा, कुटी, छोटा घर । मत-संज्ञा, पु० (सं०) सम्मति, राय, निश्चित मणि-संज्ञा, स्त्री० (सं०) जवाहिर अमूल्य, सिद्धांत । मुहा० ---म नउपाना---सम्मति रत्न, श्रेष्ठ मनुष्य, मनि (दे०) । "मणि बिनु | स्थिर करना ! पंथ, धर्म, संप्रदाय, राय, फनिक रहै अति दोना"--रामा। प्राशय, भाव, विचार । कि० वि० ( सं० मा ) मणिकर्णिका- संज्ञा, स्त्री० यौ. (सं.)। नहीं, न । काशी में एक तीर्थ का नाम । । मतमतांतर-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) अनेक मणिकार--संज्ञा, पु० (सं०) मणियुक्त | मत, मत-भेद। श्राभूषणादि बनाने वाला, जौहरी, जड़िया, मतना-० कि० दे० (सं० मति+नान्याय-ग्रंथ चिंतामणि का कर्ता।
प्रत्य. ) सम्मति निश्चित करना । अ० क्रि० मणिगुण-- संज्ञा, पु. यो० (०) एक द० ( सं० मत ) मस्त होना।
वर्णिक छंद, शशिकला, शरभ ( पि०)। मतविरोधी-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० धर्म मणिगुणनिकर-संज्ञा, पु० (सं०) द्रवती विरोधिन् ) अधर्मी, विधर्मी, धर्म छंद, मणिगुण छन्द का एक भेद ( पि०)। विरोधी। संज्ञा, पु० चौ. मत-विरोध, मणिग्रीव--संज्ञा, पु० (सं०) कुबेर का पुत्र। मत-भेद, मत-पार्थक्य । मणिजटित--वि० (सं०) मणियों से जड़ा मतरिया- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० मातृ) हुया, मणि-मंडित।
माता, मह तरिया (दे.)। वि० दे० (सं० मणिधर--संज्ञा, पु० (सं०) साँप ।
मत्र) मन्त्री, सलाहकार, मन्त्रित । मणिपुर-मणिपूर-मणिपूरक -संज्ञा, पु० मतलब --- संज्ञा, पु. ( अ ) अभिप्राय, अर्थ, (स.) नाभि के समीप का एक चक्र' प्राशय, तात्पर्य्य, स्वार्थ, मन्तव्य, विचार, (हठ्यो०)।
: उद्देश्य, संबंध, लगाव, वास्ता।
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