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भोज्य
भोज्य-संज्ञा, पु० (सं०) खाने की वस्तु, खाद्य पदार्थ वि० - खाने के योग्य | भोर - संज्ञा, पु० (सं० भोटम ) भूटान देश. एक तरह का बड़ा पत्थर ।
भोटिया - संज्ञा, पु० दे० (हि० भोट + इयाप्रत्य० ) भूटान का रहनेवाला, भूरानी । संज्ञा, स्री० - भूटान की बोली या भाषा, वि० भृटान सम्बन्धी, भूटान का भुटानी भोटिया बादाम - संज्ञा, ५० दे० यौ० ( हि० भाटिया + बादाम स० ) थालूबुखारा, मूँगफली ।
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थाना ।
यौ ०
भोरानाथ - संज्ञा, पु० भोलानाथ ( हि० ) शिव । भोरु - संज्ञा, पु० दे० ( हि० मोर ) सवेरा,
भोर ।
भौंरा
भोला - वि० दे० ( हि० भूलना ) सरल, सीधा-सादा, मूर्ख, हे समझ |
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भोलानाथ - सज्ञा, पु० यौ० ( हि० भोला -+नाथ - - ० ) शिवजी, महादेवजी । भोलानाथ थापने किये मैं पछिताबें हैं। -रपा० । भोलापन - संज्ञा, पु० (हि०) सिधाई, सादगी,
सरलता, मूर्खता, बेसमझी, नादानी । भोलाभाला - वि० ौ० दे० ( हि० भोला +
(दे०)
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भोडर, भोडल - संज्ञा, पु० (दे० ) अभ्रक, अबरक, बुक्का, अभ्रक का चूर्ण | भांना*- अ० क्रि० ( हि० भानना) भीगना भीनना, संचरित होना, लीन या लिप्त होना, आसक्त होना । भोपा संज्ञा, पु० दे० ( अन् भों) भोंपू, एक तरह की तुरही, मूर्ख । भोर—संज्ञा, पु० दे० (सं० निम्नवरी) सबेरा तड़का, प्रातःकाल । "सगर रात जो सायकै जागत है बड़ भोर- नीतियां -संज्ञा, ५० दे० (सं० भ्रम ) भ्रम, धोखा । वि० स्तंभित, चकित । -- वे० दे० ( हि० भोला ) सीधा, सरल, भोला भोरा - संज्ञा, पु० ( हि० मोर ) सबेरा, तड़का, प्रातः काल । - वि० सीधा, भोला । स्त्री० - भोरो । सफल सभा की मति भइ भोरी " छोड़त केतकी, तीखे कंटक जान भोराई†——संज्ञा, त्री० दे० ( हि० भोला ) भौंरा - संज्ञा, पु० दे० (सं० भ्रमर) भोलापन, सिधाई । भोराना* - स० क्रि० दे० ( हि० भोर + आना - प्रत्य० ) बहकाना, अभ में डालना, भुलावा देना । अ० क्रि० (दे०) धोखे में
- रामा० ।
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माला न ० ) सरल चित्त का, सीधा-सादा । भौं - संज्ञा, खो० द० (सं० भू) भौंह, भृकुटी । भौंकना- अ० क्रि० ( अनु० मों भौं से) भी भी शब्द करना, कुत्ते का बोलना, भुकना, व्यर्थ बहुत बकवाद करना । मौचाला -- संज्ञा, पु० दे० (सं० भूचाल ) भूडोल, भूकंप ।
भौंड़ा - वि० (दे०) भोड़ा, कुरूप, भद्दा । मौतवा-संज्ञा, पु० दे० ( हि० श्रमना घूमना ) एक काले रंग का बरसाती कीड़ा जो पानी के ऊपर ही घूमा करता है । बाहु के नीचे गिलटी निकलने का एक रोग, तेली का बैल |
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और संज्ञा, पु० द० (सं० भ्रमर ) भौंरा, श्रावर्त पानी के धार का चक्कर, सुरकी घोड़ा. नाँद ! ' जानि चहुँ दिशि प्रति भोरे उ केवट है मतवार " गिर० । ● और न
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वृ० ।
एक काला मोटा ढांग पतिंगा, भ्रमर, लि, भँवर, सारंग, बड़ी मधुमक्खी, डंगर ( प्रान्ती० ) डोरी से नचाने का एक खिलौना, काली या लाल भिड़, मूले में रम्ती बाँधने की लकड़ी । "भौंरा ये दिन कठिन हैं. दुख-सुख सही शरीर " - नीति । खो० - भौंरंरी | संज्ञा, पु० दे० ( सं० भ्रमणा ) घर के नीचे का भाग तरवर, तहखाना, बत्ती, खौं खत्ता, या अन्न रखने का कुएँ सा गहरा गढ़ा ।