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भूमिका
१३३८
भूलना
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मंगल।
भूमिका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) भेस बदलना, ' भूरज--संज्ञा, पु० दे० (सं० भूर्ज) भोज. रचना मुख, दीवाचा (अ.) किसी पुस्तक पत्र । सज्ञा, पु. यो० ( सं० भू+रज ) धूलि, के प्रारम्भ में ग्रन्थ सम्बन्धी प्रावश्यक और मिट्टी, गर्द । ज्ञातव्य बातों की सूचना, प्राक्कथन, वक्तव्य, भूरजपत्र-संज्ञा, पु. यौ० दे० (सं० भूर्जपत्र) मुखबंध रचना। संज्ञा, मो० (सं०) भूमि, भोजपत्र । क्षिप्त, गूढ, विक्षिप्त, एका।
भूरपूर, भूरिपूरि -वि० कि०. वि० दे० भूमिज-वि० (सं०) पृथ्वी से उत्पन्न, यो० (हि. भरपूर ) भरपूर, सब प्रकार
से पूर्ण, अधिक और पूर्ण । भृमिजा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) सीताजी, भूरसी, भूइसी दक्षिणा--- संज्ञा, स्त्री० द. भूमिसुता, भभितनया।
यो. द. (सं० भूयसी- दक्षिणा) वह भूमिनाग-सज्ञा, पु. चौ. (सं०) केचुवा दक्षिणा जो धर्मकृत्य या व्याहादि उत्सवों नाम का एक बरसाती साकार पतला छोटा पर बिना संकल्प ब्राह्मणों को दी जाती है। कीड़ा । " भूमि-नाग किमि धरह कि भूरा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० बभ्र ) खाकी रंग, धरनी” रामा० ।
मिट्टी का सा रंग, कच्ची चोनी, वृरा। भूमिपुत्र-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) कुज, मंगल। वि०-मटमैले या खाकी रंग का। संज्ञा, भूमिपति-संज्ञा, पु० यौ० (२०) राजा।
पु० (दे०) भूरापन। भूमिया--संज्ञा, पु० दे० . भूमि +-इया- भूगि, भूरी-संज्ञा. पु. (सं०) विष्णु, ब्रह्मा, प्रत्य. ) जमींदार, ग्राम देवता
शिव, साना, सुवर्ण, इन्द्र । वि० --बहुत. भूमिरुह - संज्ञा, पु. (सं०) पेड़, वृक्ष ।
अधिक बड़ा । "भूरि भागभाजन भइम. भभिसुत-संज्ञा, पु. यो. (०) भभितनय मोहि समेत बलि जाउँ'-गमा० । मंगल, भौम, कुज।
भूरितेज-संज्ञा, पु. यो० (सं० भरितेजस् ) भूमिसुता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) भमि श्राग, अग्नि, सोना, सूर्य । तनया, सीताजी, अवनिना। " भूमिसता भूरिद-संज्ञा, पु० (सं०) बहुत देने वाला। जिनकी पतिनी किमि राम महीपति होहिं खा भारदा । गुसाई'- स्फुट० ।
भूरिश्रवा-वि० (सं० भूरिश्रवस ) कीर्तिमान. भूमिहार -संज्ञा, पु. (सं.) क्षत्रियोचित
बड़ा यशी। संज्ञा, पु. सोमदत्त का पुत्र नीच ब्राह्मणों की एक जाति ।
एक राजा।
भूम्ह-संज्ञा, पु. (सं०) पेड़, वृक्ष । भूमीन्द्र, भूमीश -- संज्ञा. पु० यौ० (सं०)
(त) | भूर्जपत्र-संज्ञा, पु० (सं०) भोजपन्न । राजा, भूमीश्वर।
' भूल-संज्ञा, स्रो० (हि. भूलना) भूलने का भूय, भूयः- अव्य० (सं० भूरस्) फिर, पुनः।। भाव, चूक, ग़लती, कसूर, अशुद्धि, अपभूयोभूयः- अव्य० यौ० (सं० भूयोभूयस ) राध दोष, त्रुटि । यौ०-भूल चूक । बार बार, फिर फिर, पुनः पुनः। भूलक*-संज्ञा, पु० (हि. भुल+क-प्रत्य०) भूर, भूरि-वि० दे० ( १० भूरि ) अधिक, भूलने-चूकने या ग़लती करने वाला, जिससे बहुत । “भूरि भाग्य-भाजन भरत"- कोई भूल-चूक हुई हो। रामा० । संज्ञा, पु० दे० हि भुरभुरा) बालू, भूतना-स० कि० दे० (सं० विह्वल ) सुधि रेत । *संज्ञा, स्त्री० (द. भेंट, उपहार, या याद न रखना, विसार देना, विस्मरण दान । मुहा०-भूर बॅटन।
करना, चुकना, ग़लती करना, खो देना। अ०
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