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भुतना १३३४
भुलावा भुतना- संज्ञा, पु० दे० (सं० भूत ) छोटा निकलना (होना)-चूर चूर होना, भूत । स्त्री० भुतनी।
इतना मारा जाना कि हड्डो पसली चूर चूर भुतहा-वि० दे० (हि. भूत+हा-प्रत्य० ) हो जावें । विनष्ट होना। भूत का, भूत के समान, फूहड़, जिसमें भूत भुरता, भरता- संज्ञा, पु० दे० (हि.
भुरकना या भुरभुरा ) दब दबाकर विकृत या भुन-संज्ञा, पु. (अनु०) भुनगे या मक्खी
चूर चूर हो जाना, भरता नाम का बैंगन श्रादि का शब्द, अध्यक्त गंजार।
श्रादि का सालन, चोखा । (ग्रा०) (किसी भुनगा-संज्ञा, पु० (अनु०) एक छोटा उड़ने ।
को) भुरता बनाना (करना)-बहुत वाला कीड़ा, पतिंगा। स्त्री० भुनगी।
मारना। भुनना-अ० क्रि० (हि. भूनना ) भूना
भुरभुर, भुरभुरा- वि० (अनु०) वह वस्तु जाना, क्रोध से जलना । स० रूप-भुनाना
जिसके कण थोड़ी ही चोट से अलग अलग प्रे० रूप-भुनवाना । अ० क्रि० दे० (हि.
हो जावें, बलुा । स्त्री० भुरभुरी। भुनाना) तपाया या भुनाया जाना. भुंजना।
भुरभुराना-स० कि० (दे०) भुरभुरा करना, भुनभुनाना-अ० क्रि० दे० (अनु.) भुन
__ चूर्ण करना, भुरकना । भुन शब्द करना, बड़बड़ाना, मन में कुछ
भरवना*। स० कि० दे० (सं० भ्रमण) कर अस्पष्ट स्वर से कुछ बकना । संज्ञा, स्त्री०
फुपलाना, भ्रम में डालना, बहकाना, भुनभुनाहट।
भुलवाना बहकवाना, भ्रम में डालना। भुनवाई - संज्ञा, स्त्री० (दे०) भुनवाने की
। भुरवाना - स० कि० (दे०) भुलवाना, (दे०)
बहकाना, भ्रम में डलवाना। मजदूरी।
भुराई -संज्ञा, स्त्री० द० (हि. भोला ) भुनाई-संज्ञा, स्त्री० ( हि० भुनाना ) भूनने
भोलापन । संज्ञा, पु० (हि. भूरा) भूगपन । की क्रिया या मजदूरी।
भुराना -२० क्रि० दे० (हि. भुलाना ) भुनाना - स० क्रि० दे० ( हि० भूनना का प्रे०
बहकाना, भूलना, भुलाना भुलवाना, रूप) कोई वस्तु किसी से भुनवाना, भुजाना।
भुरवाना, भुरावना। "ौचकि भुराये स० क्रि० ( सं० भजन ) बड़े सिक्के को छोटे
भूलि भौचक से रहिगे '-१०व० । सिक्कों में बदलना, तुड़ाना।
भुलक्कड़--वि० दे० (हि. भूलना ) बहुत भुबि* - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० भू ) भूमि, !
भूलने वाला, भुलैया (ग्रा० ), जिसका पृथ्वी, महि, अवनि ।
स्वभाव भूलने का हो। भुमिया-संज्ञा, पु० दे० (सं० भूमि) भलसना-स० क्रि० दे० ( हि. भुलभुला) जमींदार।
गरम राख या वस्तु से झुलसना: प्र0 रूपभुरकना-अ. क्रि० दे० (सं० भुरण ) भुलसाना, भुलसवाना। सूखकर भुरभुरा हो जाना, भूलना । स० क्रि० भलाना-स० क्रि० (हि. भुलना ) भूल (दे०) भुरभुराना, बुरकना । स० रूप- जाना. विस्मरण करना या कराना, भ्रम में भुरकाना, छिड़कना । प्रे० रूप-भुरक- डालाना । अ० क्रि० (दे०) भटकना, वाना । चलचित पारे की भसम भुरकाइ । विस्मरण होना, भूलना, भ्रम में पड़ना, राह कै"-ऊ श०।
भूलना, भरमना । प्र० रूप - भुलवाना। भुरकस, भुरकुस-संज्ञा, पु० दे० (हि. भुलावा- संज्ञा, पु० दे० (हि. भूलना) भुरकना) चूर्ण, चूर चूर । मुहा०-भुरकुस ! धोखा, छल, बहकाव ।
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