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भुजंगविजूंभित १३३३
भुठौर का एक पर्णिक छंद । “चतुभिर्यकारैः । भुजबाथ-संज्ञा, पु० यौ० (हि. भुज भुजंग प्रयानम् "-(पिं०)।
बांधना ) अकवार । ' दृग मोचत मृगभुजंगविजभित-संज्ञा, पु. (सं०) एक लोचनी, भर्यो उलटि भुजबाथ ''- वि० । वर्णिक छंद (पिं०)।
भुजबोहा-संज्ञा, पु० यौ० दे० (सं० भुज+ भुजंगसंगता-संज्ञा, स्त्रो० (सं०) एक छंद विंशति) बीस हाथों वाला रावण । “साँचहु (पि.)।
मैं लबार भुजबीहा"-रामा० । भुजंगा-संज्ञा, पु० दे० (हि. भुजंग ) एक भुजमूल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पक्खा, काला पक्षी, भुजैटा (ग्रा० )। संज्ञा, पु० मोढ़ा, काँख । “कर कुचहार छुवत (दे०)-साँप
भुजमूलौ"--सूर० । कखरी ग्रा०) खवा भुजंगिनी--संज्ञा, स्त्री. (सं०) साँपिनी, (प्रान्ती०)। गोपाल नाम का एक छंद (पिं०)। भुजवा--- संज्ञा, पु० (दे०) भड़भूजा, अजवा। भुजंगी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) साँपिनि, मजा --संज्ञा, स्त्री. (सं०) हाथ, बाह, बाँह । नागिनी, एक वर्णिक छंद, (पि.)। मुहा०-भुजा (भुज ) उठाना या भुज-संज्ञा, पु. (सं०) हाथ, बाहु, बाँह । टेकना-प्रतिज्ञा करना । “प्रण विदेह "भुज-बल भूमि भूप-बिनु कीन्ही"- कर कहहिं हम, भुजा उठाय विशाल।"रामा० । मुहा०-भुज में भरना (भुज "भुज उठाइ प्रन कीन"-रामा० । भर भंटना)-मिलना, आलिगन करना। भजाली- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. भुजा+ हाथी की सूद, डाल', शाखा, किनारा,
पालो-प्रत्य० ) एक तरह की टेढ़ी बड़ी त्रिभुज या अन्य किसी क्षेत्र के किनारे की
छूरी, खुखरी, छोटी बरछी, कुकरी रेखा या प्राधार ( ज्यामि० ), समकोण :
(प्रान्ती०)। का पूरक कोण, दो की संख्या का बोधक
भुजिया -संज्ञा, तु० दे० (हि. भूजना = संकेत शब्द।
भूनना ) उबले हुये धान का चावल, सूखी भुजग-संज्ञा, पु. (सं०) साँप । “शान्ता
, भूनी हुई तरकारी। कारम् भुजगशयनम् पद्मनेत्रम् शुभांगम् "
| भुजी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) टुकड़ा । “बरु तन -स्फुट। भुजगनिसृता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक वर्णिक भुजी भुजी उड़ि जाय"-पाल्हा०। छंद । पिं०)।
भुर्जी-सज्ञा, पु० (दे०) भुजवा । भुजगशिशुभृता-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) भुजल-संज्ञा, पु० दे० (सं० भुजंग ) भुजंगा
एक वर्णिक वृत्ति, भुजग-शिशुसुता (पिं०)। भुजदंड-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) बाहदंड, भुजोना, भुजैना-संज्ञा, पु० दे० ( हि. हाथ । “दोउ भुजदंड तमकि महि भूजना ) भूना अन्न, भूजा, भूनने या भुनाने मारे"--रामा०।
___ की मजदूरी, भुजधा। भुजपाश-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) गले में | भुट्टा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० भृष्ट प्रा० भुट्टी)
हाथ डालना, गलवाही, गरबाही (व०)। बाजरा, मक्का और ज्वार की हरी बाल | भुजप्रतिभुज-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) सरल घौद (प्रान्ती.) गुच्छा । स्रो. अल्पा०
क्षेत्र की संमुख भुनायें (ज्यामि०)। भुट्टी। भुजबंद, भुजबंध-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) भुठौर-संज्ञा, पु० दे० ( हि० भूड़+ठौर ) बाजूबंद (भूषण)।
। घोड़े की एक जाति ।
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