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बल्कि १२४३
बसनी बल्कि-प्रव्य. ( फ़ा० ) परंतु. अन्यथा, बचना--स० अ० क्रि० दे० (सं० वपन) बोना
इसके विरुद्ध प्रत्युत, और अच्छा है। बिखराना, छितराना कै करना ( सं० वमन) बल्लभ संज्ञा, पु. ( सं०) प्रिय, पति, |
| संज्ञा, पु.-वामन, नाटा, बोना (दे०)। स्वामी।
बवरना अ० कि. (दे०) बौरना। बल्लभी-संज्ञा, स्त्री. (सं०) प्रिया, प्यारी | बघाभीय -- संज्ञा, स्त्रो० ( अ० । अर्श या गोपी। 'सुरति सँदेप सुनाथ मेटो वल्ल. गुदेन्द्रिय में मस्से होने का रोग ( वै०)। भिन को दाहु"--सूर० ।
बसंती--वि० दे० ( हि० बसंत ) वसंत ऋतु बल्लम-... संज्ञा, पु. दे० (सं० वल, हि० संबंधी बसत का, पीले रंग का। बल्ला ) छड़, बरछा. सोटा, बल्ला डंडा बमंदर-वैसंघर--संज्ञा, पु० दे० ( सं० राजा के चोबदारों की सोने या चाँदी वैश्वानर ) श्राग। लो० मोरे घर से भागी की छड़ी. भाला।
लाये नाँव धरेन बैसंदर" बल्लमटेर-सज्ञा, पु० दे० (अं० वालंटियर) बाप- वि० ( फा०) बहुत, काफ़ी पूर्ण, स्वेच्छा से सेना में भरतो होने वाला पर्याप्त, पूरा । अगल-अलम् (स०) पर्याप्त, स्वयं-सेवक।
केवल, काफी । संज्ञा, पु० दे० (सं० वश ) बलनम-बर्दार--संज्ञा, पु० यौ० ( हि० वल्लम | __ आधीन, वश, अधिकार, सामर्थ्य, शक्ति,
+-वर्दार फा० ) राजा को सवारी या बरात | बल. जोर। में आगे बल्लम लेकर चलने वाला। | बरती-वस्तो-संज्ञा, स्त्री. ( दे० ) गाँव, बल्लरी-संज्ञा, स्त्री. (सं.) एक प्रकार की आबादी । यौ० गाँव-बस्ती। लता, लता, वल्ली।
बसन-संज्ञा, पु० (सं०) कपड़ा, वस्त्र । "रहा बल्ला-संज्ञा, पु. ( सं० वल ) बाँस या न नगर बसन-घृत-तेला”-रामा ।
और किसी पेड़ का लंबा खंड, नाव खेने का बमना-क्रि० प्र० ( सं० क्सन ) रहना, बाँस, ( डाँड़ ) गेंद खेलने का काठ का निवास करना, श्राबाद होना, डेरा करना, बैट ! अं० ) । स्त्री० अल्पा० बल्ली। ठहरना, टिकना । स० रूप-बसाना, प्रे० रूपबल्ली-संज्ञा, स्त्रो० (सं०) लता। " वृतती बसवाना । महा.-घर बसनातुलतावल्ली-अमर० (दे०) बाँस की लग्बी, । गृहस्थी का बनना सकुटुंब सुखी रहना, छत में लगाने की गोल मोटी लफड़ी। स्त्री-पुत्र समेत होना । घर में बसनावडन-अ० क्रि० दे० ( सं० व्यावर्नन) सुख से गृहस्थी करना । टिकना । महा0-... व्यर्थ फिरना, इधर-उधर घूमना, बौंडना, (हृदय) मन (नैनों आँखों ) में बसना बौंडियाना (ग्रा०) लता का बढ़कर -ध्यान या स्मृति में बना रहना, बैठना, फैलना।
पैठना । "बसो मेरे नयनन में नदलाल"। बवंडर-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वायुमंडल) अ० क्रि० दे० हि. वासना ) बासा जाना,
चक्रवात, बगूला चक्र सी घूमती आँधी, सुगंधि या महक से भर जाना । संज्ञा, पु० पेंचीदा बात । " उधौ तुम बात को बवंडर दे. ( सं० वसन) किसी वस्तु पर लपेटने का बनावो कहा"-रना।
वस्त्र, बेठन, वेष्टन । जैसे पन-बसना । बबघुरा*-संज्ञा, पु० दे० (हि० बवंडर ) | चसनि*:--संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. बसना ) चक्रवात, बगूला, बवडर।
निवास, बाप, रहनि । बधन - सज्ञा, पु० दे० ( सं० वमन) बसनी-संज्ञा, स्रो० दे० (सं० बसन ) रुपये वमन, कै, उलटी।
__ भर कर कमर में लपेटने की पतली थैली।
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