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बसवार
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बस्ती, बसती बसवार-संज्ञा, पु० दे० (हि० घास, बघार, वश में या अधीन करने वाला " बसी छौंक।
___ करन इक मंत्र है, परिहरु वचन कठोर " बसवास--संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० बसना । । -तुल०
+वास ) निवास-योग्य परिस्थिति, रहना, बनोठ संज्ञा, पु० दे० (सं० अवसृष्ट संदेया निवास, स्थिति, ठिकाना, ठहरने या टिकने ले जाने वाला दूत धावन । “ तौ बसीठ की सुविधा।
पठवा केहि काजा'--रामा० ।। बसवैया-वि० (दे०) बसाने या बसने बमीठी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० बसोठ ) वाला।
दूत-कर्म, दूतता, दूतत्व । बसर-संज्ञा, पु० (फा०) निर्वाह । यौ० बमीना ----संज्ञा, पु० दे० ( हि० बसना) गुजर-बसर।
रहन, रहाइम (दे०)। बसराना-- स० क्रि० (दे०) समाप्त या पूरा प्रसूना-संज्ञा, पु० दे० ( सं० बासि + ला --- करना।
प्रत्य० ) लकडी छीलने या गढ़ने का एक बसह-संज्ञा, पु० दे० (सं० वृषभ ) बैल .. लोहे का औज़ार । स्त्री० अल्पा० बसूना।
"भरि भरि बसह अपार कहारा"-रामा०।। बसेरा--वि० दे० (हि. बसना बनने या बसा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० बसा ) चरबी, रहने वाला संज्ञा, पु० - ठहरने या टिकने
मेद: संज्ञा, स्त्री० (दे०) बरै, भिड़ । का स्थान, पक्षियों के रात बिताने या रहने बसाना--स० क्रि० दे० (हि. बसना) बसने, । का घोंसला, रहने या टिकने का कार्य या ठहरने या टिकने को स्थान देना, श्राबाद भाव “ना घर तेरा ना घर मेरा जंगल करना । मुहा०-घर बसाना--गृहस्थी बीच बसेरा है - कबीर० । महारजमाना, सकुटुंब सुख से रहने का ठिकाना बमेरा करना-बपना डेरा या निवास ( प्रबंध ) करना, व्याह करना, स्त्री-सहित __ करना, रहना. ठहरना, घर बनाना बसेरा होना । स० कि० दे० ( स० वेशन ) रखना, लेना-रात बिताने को रहना, निवास बैठाना । *अ० कि०—रहना. बसना, करना. टिकना । बसेना दना-पाश्रम ठहरना. दुर्गध देना, गंध-युक्त करना, सुवा- देना सित होना। अ० क्रि० ( हि० वश ) वश बसेरी-वि० दे० (हि० घसेरा ) निवासी, चलना, जोर चलना । " विवि सों कछु न रहने या बसने वाला। बसाय"-रामा० । अ० कि० दे० ( हि० बसैया -वि० दे० (हि. घसना । बसने वास ) महकना, सुवास देना।
वाला, बसवेया। बसिौरा-बस्यौरा-रंज्ञा, पु० दे० ( हि० बसोबास--संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० बास बासी ) बासी भोजन, बसौड़ा (ग्रा.) + आवास ) रहने का स्थान । बासी भोजन खाने की कुछ तिथियाँ बमौंधी-- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. वास+ (स्त्रियों की)।
श्रौधी ) सुधित लच्छेदार रबड़ी। बसीकत-घसीगत-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि.बस्ता- सज्ञा, पु. ( फा०) काग़ज़-पत्र या बसना ) बस्ती, आबादी, रहन, बसने का पुस्तकादि बाँधने का चौकोर कपड़ा, बेठन : भाव या कार्य।
| " भागे मुसद्दी तब बंगला ते बस्ता कलम. बसीकर-वि० दे० ( सं० वशीकर ) प्राधीन दान लै हाथ "-श्राल्हा० । या वश में करने वाला।
बस्ती, बमती-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वसति) बसीकरन*--संज्ञा, पु० दे० (सं० वशीकरण) , गाँव, आबादी, निवास, जनपद । " औरों
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