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बलाध्यक्ष १२४२
बलैया किसी स्त्री के साथ हठात् कुछ करना, इच्छा बलि वैश्वदेव-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) गृहस्थ के विरुद्ध संभोग करना।
के पंच महायज्ञों में से एक, जिसमें भोजन बलाध्यत-संज्ञा, पु० (सं.) सेनापति। से एक एक ग्रास पृथक रखता है। बलाह-संज्ञा, पु० दे० (सं० वोल्लाह ) बुलाह | बलिष्ठ -- वि० (सं०) अधिक बली। घोड़ा ।
बलिरंग-संज्ञा, पु० (सं०) अंकुश, चाबुक, बलाहक-संज्ञा, पु. (स.) बादल, मेघ, वानरों का समूह । एक नाग, एक दैत्य, एक तरह का बगला, | बलिहारना-स० क्रि० दे० (हि०) निछावर एक पर्वत ( शाल्मली द्वीप )। " नाहक कर देना । हमारो प्रान-गाहक भयो है यह चातक तू बलिहारी--संज्ञा, खी० दे० ( हि० बलिश्रापने बलाहक बरजि ले"--रमाल हारना ) निछावर, प्रेम, भक्ति, श्रद्धादि बलि--- सज्ञा, पु. (स०) राजकर कर लगान, । के कारण अपने तई त्याग,अात्मोत्सर्ग । भेंट, उपहार, पूजा का सामान, भूतयज्ञ, 'कहहु तात जननो बलिहारी"--- रामा० । चढ़ावा, भोग, देवता के नैवेद्य का पदार्थ मुहा०- बलिहारी जाना (बलिजाना) किसी देवता पर चढ़ाने को काटा गया निछावर होना, बलैया लेना । बलिहारी पशु । " भइ बड़ि वार जाय बलि मैया” | लेना--प्रेम दिखाना, बलैया लेना। - रामा० । मुहा०-बलि बढ़ना (चढ़ाना) बली-वि० ( सं० वलिन् ) बलवान । -मारा जाना ! बलि चढ़ाना-देवता बलीमुख - संज्ञा, पु० यौ० सं० वलिमुख) को भेंट चढ़ाना या पशु वध करना। बलि बंदर । " चली बलीमुख सेन पराई"जाना--बलिहारी जाना, निछावरि होना। रामा०। मुहा०-बाल बलि-जाऊँ-मैं तुम पर बलायान्-वि० (सं०) बलवान । निछावर हूँ। प्रह्लाद का पौत्र एक दैत्य-राज । बलुवा, बलुमा-वि० दे० (हि० बालू ) संज्ञा, स्त्री. (सं० बला) छोटी बहन, सखो। बालू मिला, रेतीला । स्त्री० बलुई। "कहनोई करी बलि मेरो इतो". रसाल। बलूच-संज्ञा, पु. (दे०) बलुचिस्तान के बलित-वि० (सं० बलि) बलिदान किया। मुमलमानों की एक जाति ।। या मरा हुश्रा, हत।
बलूचिस्तान-संज्ञा, पु० (दे०) बलूचों का धलिदान-सज्ञा, पु. यौ० । सं० ) देवार्थ एक देश जो भारत के पश्चिम में है। नैवेद्य आदि चढ़ाना, भेंट देना, देवतार्थ बलूची-संज्ञा, पु. (द०) बलूचिस्तान का बकरे आदि पशु का वध, उत्पर्ग
निवाली। बलिगशु-सज्ञा, पु० यौ० (स.) देवार्थ | बलून - सज्ञा, पु. ( अ०) माजूफल की
बलिदान करने ( किया गया ) का पशु।। __ जाति का एक वृक्ष। बलि पुष्ट-सज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) काग, बलूरना--स० कि० (दे०) खुरचना, नाचना। कौना।
बलूला--- सज्ञा, पु० (दे०) बुलबुला बुदबुदा। बलिदान-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) बलदान। बलैया--सज्ञा, स्त्री. दे. (अ. बला + हि० वलया- वि० दे० ( सं० बल ) बलवान् । चलाय) बला, बलाय। 'बलैया लेहों".--- क. लिरमा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) गंधक। रामा० . मुहा. ( किमी की । बलैया भलिवर्द --संज्ञा, पु. (सं०) साँड, बैल। लेना--( किसी का ) रोग, दोष या दुख बलिवेदी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) वलि के | अपने ऊपर लेना, मगल या कल्याण चाहते लिये एक निश्चित स्थान या चबूतरा । हुए प्यार करना, प्रारमोत्सर्ग करना ।
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