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बरनी
देना । - क्रि० प्र० (दे०) जलना | "लछिमन कहा तोहि सो बरई " - रामा० । बरनी - संज्ञा स्त्री० दे० वि० ( सं० वरणिन् ) वरण किया हुआ, बरोनी ।
बरपा -- वि० ( फा० ) खड़ा, उठा, मचा हुआ । बरफ़ - संज्ञा स्त्री० दे० ( फ़ा० बर्फ) बर्फ, हिम, तुषार, पाला ।
बरफ़ी - संज्ञा, ५० दे० ( फ़ा० बर्फ) खोये और चीन से बनी एक मिठाई ।
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बरवंड, बरिबंड - वि० दे० (सं० बलवंत ) उद्धत, प्रतापी, प्रचंड, अति बलवान, प्रखर, उद्दंड, बरबंडा* (दे० ) । " श्रति बरबंड प्रचंड हिंड थाखेटक खिल्ले " - - पृ० रा० । बरबट - क्रि० वि० दे० (सं० बल + वट) ज़बरदस्ती बलपूर्वक बिवस, बरवम | " नैनमीन ये नागरनि, बरबट बाँधत श्राय " -- मति० । संज्ञा, पु० (दे०) पिलही, तिल्ली, बाउट (ग्रा० ) | यौ० (हि० वर + वट) अच्छा वट वृक्ष । बरबरी - संज्ञा, स्त्री० ( अनु० ) बकबक झकझक | संज्ञा, पु० – शेर बबर, सिंह, बर्बर, जंगली या असभ्य मनुष्य । बरबस - क्रि० वि० दे० ( सं० बल + वश ) जबरदस्ती, हठात् बलपूर्वक, arr 66 । बर बस लिये उठाइ " - रामा० ।
बरबाद --- वि० (फ़ा० ) चौपट, नष्ट नाश,
ख़राब, तबाह | संज्ञा, स्रो० बरबादी । बरबादी - संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) खराबी, तबाही, नाश। " सादी कहा भई बरबादी भई घर की - " बेनी ।
बरभमिया - वि० दे० (सं० वरभास)
बहुरूपिया, स्वाँगी, वरभासी । बरम – संज्ञा, पु० दे० (सं० वर्म) देह त्राण, कवच, सनाह, जिरह - वक्तर ।
बरमा - संज्ञा, पु० (दे०) लकड़ी आदि में छेद करने का एक लोहे का बाज़ार । (०) ब्रह्म देश । स्त्री० अल्पा० बरमी ।
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बरसना
बरमी - संज्ञा, पु० दे० (हि० बरमा + ईप्रत्य०) बरमा देशवासी | संज्ञा, स्त्री० (दे० ) बरमादेश की भाषा, छोटा बरमा हथियार । वि०- ० - बरमा देश का, बरमा संबंधी ।
रम्हा - संज्ञा, पु० दे० (स० ब्रह्मा ) ब्रह्मा, बरमा या ब्रह्मा देश । बरम्हाना1- स० क्रि० दे० (सं० ब्रह्म ) ब्राह्मण का श्राशीर्वाद देना । बरम्हाव
- संज्ञा, पु० दे० (सं० ब्रह्म + श्राव - प्रत्य० ) ब्राह्मण की अशीष, ब्राह्मणख | बरराना, वर्गना - स० क्रि० (दे०) बयाना ( ग्रा० ) प्रलाप या बकवाद करना, स्वझ में
"
बकना, ऐंठ या ऐंठ जाना । "ब्रह्मब्रह्म कब हूँ Ref बरात हो ऊ० श० । बरबट - संज्ञा स्त्री० (दे०) तिल्ली रोग, बावट (ATO) I
बरवा बरवै - संज्ञा, पु० (दे०) १६ मात्राओं का एक छंद ( पिं० ), कुरंग, ध्रुव, मछली फँसाने का काँटा, एक रागिनी । संगी० ) । बरपना** - --- ० कि० दे० (सं० वर्षण ) बरसना | स० रूप- बरषाना, बरषावना प्रे० ० रूप-बरपवाना ।
रामा० ।
वरषा, वरिषा - संज्ञा, खो० दे० (सं० वर्षा) बरसा (दे०) वृष्टि, बरसात, बर्षाकाल । "बरषा बिगत सरद ऋतु श्राईबरषासन | संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वर्षाशन) एक वर्ष के हेतु खाने का सामान । बरस, बरिस - संज्ञा, पु० दे० (सं० वर्ष ) १२ मासों का वृंद, वर्ष, साल, वरप (दे० ) । जियहु जगत-पति बरिस करोरी" -- रामा० । बरसगाँठ - संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (सं० वर्ष
ग्रंथि) सालगिरह, जन्म-गाँठ जन्म-दिन । बरसना - स० क्रि० दे० (सं० वर्षण ) मेह पड़ना, पानी गिरना, पानी के समान गिरना स० [रूप बरसाना, स० रूप, बरसवाना प्रे० रूप बरसावना - " बरमहिं जलद भूमि नियराये - रामा० । अधिक मात्रा में सब चोर से थाना, झलकना, प्रगट होना ।
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