________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
प्रसिद्धि
प्रसिद्धि - संज्ञा, (सं०) ख्याति भूषा, प्रचार, अलंकृत, शृंगार, प्रसिद्धी (दे० ) । प्रसीद - स० क्रि० (सं० ) प्रपन्न हो कृपा या दया करो। " प्रसीद परमेश्वर
"
www.kobatirth.org
1
१९८३
प्रस्फुट
प्रस्तार संज्ञा, पु० (सं०) वृद्धि, फैलाव, परतों में से प्रथम जो, छन्दों की भेद संख्या और रूप सूचित करता है (पिं० ) | प्रस्ताव -- संज्ञा, पु० (सं० ) अवसर की बात, प्रसङ्ग, प्रकरण. कथानुष्ठान, चर्चा, सभा में उपस्थित मन्तव्य या विचार, भूमिका, विषय-परिचय, प्राक्कथन ( श्राधु० ) । वि० प्रस्तावक, प्रस्ताविक । प्रस्तावना -- संज्ञा, त्री० (सं० ) थारम्भ, भूमिका, प्राक्कथन, उपोद्घात, उठाया हुआ प्रसंग | अभिनय से पूर्व विषय - परिचायक, प्रसंग कथन ( नाटय० ) | प्रस्ताविक - वि० (सं०) यथा समय, समयानुसार । प्रस्तावित - वि० (सं०) जिसके हेतु प्रस्ताव किया गया हो ।
प्रसुप्त - वि० (सं० ) सोया हुआ । प्रसुति संज्ञा, खो० (सं० ) नींद, निद्रा | प्रसू-संज्ञा, खो० (सं० ) जनने या उत्पन्न करने वाली, प्रसुता, प्रसवा । प्रसुत - वि० सं०) उत्पन्न, पैदा, संजात, उत्पादक । स्त्री० प्रसूता | संज्ञा, पु० (सं० ) प्रसव के बाद होने वाला स्त्रियों का एक रोग परसूत (दे० ) ।
प्रसूता - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) बच्चा उत्पन्न करने वाली स्त्री, जच्चा । प्रसुतिप्रसूती -संज्ञा, स्त्री० (सं० ) कारण, उत्पत्ति, उद्भव, जन्म, प्रसव, दक्ष की स्त्री, कारण, प्रकृति ! " मंजुल मंगल मोद. प्रसूती ".
- रामा० ।
प्रसूतिका - संज्ञा, सी० (सं० ) प्रसूता । यौ० - प्रसूतिकागृह - जहाँ प्रसूता जनन करे और रहे, मोर ( प्रान्ती० ) ।
प्रसून संज्ञा, पु० (सं०) फल, सुमन, फल | प्रवृत्ति - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) विस्तार, संतान,
तत्पर, लंपट | वि० प्रवृत ।
प्रसेक - संज्ञा, पु० (सं०) सींचना, छिड़काव
निचोड़, प्रमेह रोग जिरियान | सुश्रु० ) । प्रसेद - संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रस्वेद) पसीना । प्रसेव -- संज्ञा, पु० (सं०) बीन की तूंबी । प्रस्कन्दन -- संज्ञा, पु० (सं०) फलाँग, झपट, शिव, विरेचन, अतीसार : प्रस्कन - वि० (सं०) पतित, गिरा हुआ । प्रस्खलन - संज्ञा, पु० (सं०) स्खलना, पतन, गिरना, पत्तों का बिछौना ।
प्रस्तर -- संज्ञा, पु० (सं०) पत्थर, बिछौना प्रस्तार । यौ० प्रस्तरमय - पथरीला | प्रस्तरण – संज्ञा, पु० (सं०) बिछौना, बिछावन प्रस्तार, फैलाव |
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रस्तुत - वि० (सं०) कथित, उक्त, उपस्थित, सम्मुख छाया हुआ, तैयार, उद्यत, प्रशंसित, वस्तु, उपमेय ( काव्य ० ) । प्रस्तुतालंकार - संज्ञा, पु० ( सं० ) एक अंकार जिसमें एक प्रस्तुत पर कही हुई बात का अभिप्राय दूसरे प्रस्तुत पर घटित किया जाय ( काव्य ) |
प्रस्थ - संज्ञा, पु० (सं०) पर्वत पर की समतल भूमि, एक वाट या मान ( प्राचीन ) । प्रस्थान - संज्ञा पु० ( सं० ) यात्रा, गमन,
यात्रा - मुहूर्त पर यात्रा की दिशा में कहीं रखाया गया यात्री का वस्त्रादि । प्रस्थानी - वि० (सं० प्रस्थानिन्) जानेवाला | प्रस्थापक - वि० (सं०) भेजने वाला, स्थापना करने वाला वि० - प्रस्थापनीय । प्रस्थापन - संज्ञा, पु० (सं०) भेजना, प्रस्थान कराना, स्थापन, प्रेरणा | वि० प्रस्थापित | प्रस्थित - वि० (सं० ) ठहराया या टिका हुआ, गत, जो गया हो, हद। प्रस्तुषा - संज्ञा, त्रो० (सं०) पोते की स्त्री । प्रस्फुट - वि० (सं० ) खिला हुआ, विकसित ।
For Private and Personal Use Only