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प्रष्ठ
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प्रसिद्धता प्रष्ठ-वि० (सं०) अग्रगामी, श्रेष्ठ, प्रधान, प्रसाद पाना-(मिलना) भोजन करना, मुख्य, श्रगुश्रा । संज्ञा, पु. प्रष्ठा-श्रेष्ठ, पीठ। बुराई का बुरा फल पाना (व्यंग्य)। शुद्ध, प्रसंग-- संज्ञा, पु. (२०) संगति, सम्बंध, शिष्ठ, स्पष्ट तथा स्वच्छ भाषा का एक विषय का लगाव, अर्थ का मेल, पुरुष-स्त्री का गुण ( काव्य० ), शब्दालंकार-संबन्धी एक संयोग, विषय, बात,प्रकरण, प्रस्ताव, अवसर, वृत्ति, कोमला वृत्ति। कारण उपयुक्त संयोग, मौका, हेतु विस्तार प्रसादना* --स० क्रि० दे० ( सं० प्रसादन ) विषयानुक्रम । जेहि प्रसंग दूषन लगै,,
प्रसन्न या राज़ी या खुश करना । तजिये ताको साथ "--नीति।
प्रसादनीय* --- वि० (सं०' प्रसन्न, राजी प्रसंसना* -- स० क्रि० दे० (सं० प्रशंसन )
या खुश करने योग्य । प्रशंसना। " कहौं स्वभाव न, कुलहि
प्रलादी--संज्ञा, सी० दे० ( सं० प्रसाद + प्रसंसी"-रामा०
ई - हिं० प्रत्य०) नैवेद्य देवता पर चढी प्रसन्न-वि० (सं०) हर्षित, संतुष्ट, आनंदित,
वस्तु, जो बड़े या पूज्य लोग प्रसन्न हो अनुकूल, प्रफुल्ल परसना (दे०) । " भये
छोटों को दें, परसादी (दे०)। प्रसन्न देखि दोउ भाई"- - रामा। -वि. (फा० पसंद ! मनोनीत, परसंद (दे०)।।
प्रसाधन-संज्ञा, पु. ( सं० ) निष्पादन, प्रसन्नचित्त-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) संतुष्ट
संपादन, वेश रचना वि० -प्रसाधनीय । या हर्षित मन, दयालु, खुशदिल (फ़ा०) ।
प्रसाधनी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) कधी ( बाल यौ० प्रसन्नवदन।
सुधारने की) ककई (प्रा.)। प्रसन्नता--संज्ञा, स्त्री० (सं०) आनंद, संतोष प्रसाधिका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) देश-कारिणी, हर्ष, खुशी, कृपा, प्रफुल्लता।
वेश-रचने वाली, श्रृंगार करने वाली, नाईन । प्रसन्नमुख-वि० यौ० (सं०) हँसमुख । | प्रसार - संज्ञा, पु० (सं०) पसार (दे०) फैलाव, प्रसभित*-वि० (सं०) प्रसन्न । विस्तार, गमन, निकाप, निर्गम, संचार। प्रसरण-संज्ञा, पु. ( सं० ) फैलाना, व्याप्ति.
| प्रसारण- संज्ञा, पु० (सं०) फैलाना, प्रस्तारण, आगे बढना, फैलाव, विस्तार, खिसकना, विस्तारित करना । वि.---प्रसारित, सरकना । वि. प्रसरणीय, प्रसारित
प्रसारणीय, प्रसाय्य ।। प्रसल- संज्ञा, पु० सं०) हेमंत ऋतु
| प्रसारिणी-संज्ञा, स्वी० ( सं०) लाजवंती. प्रसव-संज्ञा, पु. (सं०) प्रसूति, जनन,
। लता, लजालु, गंधप्रसारिणी। बच्चा पैदा करना, जन्म, जनना, संतान, |
प्रसारित--वि० (सं० ) फैलाया हुश्रा। उत्पत्ति । यौ० --प्रसव-पीडा प्रसचिनी-वि० स्त्री. (सं० ) प्रसव करने
प्रसारी--वि० (सं० प्रसारिन्) फैलाने वाला
किराना और औषधियों की दुकान करने या जनने वाली! प्रसाद-- संज्ञा, पु. ( सं० ) परसाद (दे०)
वाला, पंसारी, पलारी (दे०) । अनुग्रह, दया, कृपा, प्रसन्नता। " प्रसादस्तु | प्रसित-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पीब, मवाद । प्रसन्नता"-नैवेद्य, जो वस्तु देवता या बड़े प्रसिति--संज्ञा, स्त्री० (सं० ) रस्त्री, रश्मि, लोग प्रसन्न होकर छोटों (भक्तों, दामों) को ज्वाला, लपट । दें, देवता, गुरुजनादि को देकर बची वस्तु, प्रसिद्ध-वि० (सं०) विख्यात, अलंकृत, भोजन, देवता पर चढी वस्तु। प्रभुप्रसाद प्रतिष्ठित, भूषित, परसिद्ध (दे०)। मैं जाब सुखाई "- रामा० । मुहा०- प्रसिद्धता--संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) ख्याति ।
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