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प्रमेह
१९७६
DDOS
प
प्रलपित प्रमेह-संज्ञा, पु. (सं०) एक रोग जिसमें पद्धति, यज्ञादि के अनुष्ठान की बोध-विधि । मूत्र-द्वारा शरीर का तीण धातु या शुक्र अभिनय, दृष्टांत, विधि, निदर्शन । निकलता है।
प्रयोगातिशय--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) प्रमोद -- संज्ञा, पु० (0) आनन्द, हर्ष। प्रस्तावना का एक भेद ( नाट्य ० )। "प्रमोद नृत्यैः सह वारयोषिताम्"-रघु। प्रयोगी, प्रयोजक --संज्ञा, पु. ( सं० ) अनु.
लाशासिलियों में टान या प्रयोग-कर्ता, प्रदर्शक, प्रेरक । से एक सिद्धि (सांख्य० )।
प्रयान--संज्ञा, पु. ( सं० ) अभिप्राय, अर्थ, प्रयंक* -..संज्ञा, पु० दे० (सं० पयं क) प्रजंह
हेतु, उद्देश्य कार्य, प्राशय, व्यवहार
तात्पर्य, उपयोग कारण । वि० प्रयोजनीय, परजक (दे०) पलँग शय्या।
प्रयोजक, प्रयोजित । "रतोहागम लध्वसं. प्रयंत*-अव्य० (दे०) तक, पर्यत (सं०)।
देहाः प्रयोजनम् "..म० भा० प्रयत्न- संज्ञा, पु. (सं०) उद्देश्य-पूर्ति के लिये
प्रयोजनवती लक्षणा --संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) क्रिया, उपाय, चेष्टा, प्रयास, परिश्रम, वर्णो
प्रयोजन द्वारा वाच्यार्थ से पृथक अर्थ सूचक चारण क्रिया ( व्या०), क्रिया (प्राणियों की), जीवों का व्यापार ( न्याय )।
लक्षणा ( काव्य०)। प्रयत्नवान-वि० ( सं० प्रयत्नवत् ) उपाय
प्रयेाजनीय - वि० (सं०) कार्य या मतलब
का, आवश्यकीय, उपयोगी। करने वाला । स्त्री०--प्रयत्नवती।
प्रयोज्य-वि० (सं०) कार्य में लाने या प्रयाग, दे० पराम- संज्ञा, पु० (सं०) गंगा
प्रयोग करने के योग्य । जमुना के संगम पर एक तीर्थ, इलाहाबाद ।
प्ररोचना-संज्ञा, स्त्री० (सं०) रुचि या चाह प्रयागधाल-संज्ञा, पु० (सं० प्रयाग + वाला
उत्पन्न करना, बढ़ाना, उत्तेजना, नट, या .- हि० प्रत्य०) प्रयाग का पंडा।
सूत्रधारादि का प्रस्तावना के बीच में नाटकप्रयागा --संज्ञा, पु० (सं०) यात्रा, प्रस्थान,
कार या नाटक का प्रशंसात्मक परिचय गमन, युद्ध-यात्रा, हमला, चढ़ाई। यौ०
देना ( नाट्य )। महाप्रयाण-महाप्रस्थान, मोह, मृत्यु । प्ररोहण-संज्ञा, पु० (सं०) चढ़ाव, जमना, प्रयान-संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रयाण) प्रयाण ?
उगना, श्रारोहण । वि० --प्ररोहक, प्ररोप्रयास-संज्ञा, पु० (सं.) उद्योग, उपाय, हित, प्ररोहणीय । प्रयत्न, श्रम । “बिन प्रयास सागर तरहि
| प्रलंब--- वि० (सं०) लटकता या टॅगा हुश्रा, नाथ भालु-कपि धार "-रामा०।
लंबा, निकला था टिका हुआ। "प्रलंब बाहु प्रयुक्त-संज्ञा, पु. (सं० ) सम्मिलित, संयो- विक्रमम्'- रामा० । संज्ञा, पु. (सं०) एक जित, कार्य में प्रचलित, व्यवहृत् । दैत्य । प्रयुत-संज्ञा, पु० (सं०) दश लाख की संख्या प्रलंबन--संज्ञा पु० (सं०) सहारा, अवलंबन । प्रयोक्ता संज्ञा, पु० (सं० प्रयोक्त ) व्यवहार वि० प्रलंबनीय, प्रलंबित, प्रलंबी।
या प्रयोग करने वाला, ऋणदाता। प्रलंबी - वि० सं० प्रलंबिन् ) लटकने या प्रयोग-वि० (सं०) किसी पदार्थ को सहारा लेने वाला । स्त्री० प्रलंबिनी। किसी कार्य में लाना व्यवहार, साधन, प्रापित-वि० (सं०) कथित, उक्त, व्यर्थ या आयोजन, बरता जाना, क्रिया का विधान, मिथ्या भाषित, अंडबंड या ऊटपटांग कहा मारण, मोहनादि १२ तांत्रिक उपचार, हुआ ।
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