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प्रलयंकर ११८०
प्रवाही प्रलयंकर-वि० (सं०) प्रलय या नाशकारी, प्रघर - वि० (सं०) बड़ा, श्रेष्ठ, मुख्य । संज्ञा, विनाशक । स्त्री० प्रलयंकरी।
पु०-संतति, गोत्र में विशेष प्रवर्तक, श्रेष्ठ मुनि। प्रलय-संज्ञा, पु० (सं०) नाश, लय, मिट प्रवरललिता · संज्ञा, सो० (सं०) एक वर्णिक जाना, संसार के सब पदार्थों का प्रकृति वृत्त, (पि०) में मिल जाना, विश्व का तिरोभाव, प्रवर्त-संज्ञा, पु० (०) कार्यारंभ. एक प्रकार मूर्छा, अचेत, एक साविक भाव, किसी वस्तु के बादल, ठानना, करना । वि० प्रचलित। या व्यक्ति के ध्यान में लय होने से पूर्व प्रवर्तक-संज्ञा, पु० (२०) संचालक, चलाने स्मृति का लोप (साहि०)।
और प्रारंभ करनेवाला, प्रवृत्त या जारी प्रलयकत्ती-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० प्रलयकत') करनेवाला, निकालने या ईजाद करनेप्रलय या नाश करने वाला।
वाला, उभाड़नेवाला, उत्तेजक, प्रस्ता. प्रलयकारी-संज्ञा, पु. ( सं० प्रलयकारिन् ) वना का वह रूप जिसमें सूत्रधार वर्तमान प्रलय करने वाला, प्रलयकारक।
काल का कथन करता तथा तत्सम्बन्ध लिये प्रलाप-संज्ञा, पु. (सं०) बकना, कहना, हुए पात्र प्रविष्ट होता है (नाध्य०)। पागल सा व्यर्थ बकवाद या बड़-बड़। वि० प्रवर्तन -- संज्ञा, पु. (सं०) कार्य का प्रारम्भ प्रलापी, प्रलापक, प्रत्लपित।। । करना या चलाना, प्रचार या जारी करना, प्रलेप-संज्ञा, पु० (सं०) लेप, लेश, पुल्टिस। ठानना । वि० प्रवर्तित, प्रवननीय, प्रवर्त्य । प्रलेपन--संज्ञा, पु. ( सं०) पोतने या लेप | प्रवर्षण · संज्ञा, पु० (सं०) वर्षा, एक पहाड़, करने या लेशने का कार्य । वि० प्रलेषक, ( किष्किन्धा )।"राम प्रवर्पण गिरि पर प्रलेप्य, प्रलेपनीय।
छाये"- रामा० । प्रलोभ-प्रलोभन-संज्ञा, पु. (सं०) लालच प्रबह--संज्ञा, पु. (सं०) बड़ा भारी बहाव,
या लोभ दिखाना । वि. प्रलोभनीय, वायु के सात भेदों में से एक ! प्रलोभक।
प्रवाद-संज्ञा, पु० (सं०) बातचीत, जनरव, प्रवंचना--- संज्ञा, स्त्री० (सं०) धूर्तता, ठगी, जनश्रति, अपवाद । यौलीकप्रवाद ।
छल । वि०प्रवंचनीय,प्रवंचक, प्रपंचित ! "लोकप्रवादः सत्त्योऽयंबाल्मी । प्रवक्ता-संज्ञा, पु. ( सं० प्रवक्त ) भली-भाँति प्रवान* --संज्ञा, पु. (दे०) प्रमाण (सं०)।
कहने या बोलने वाला, वेदादि का उपदेशक । प्रवाल- संज्ञा, पु० (सं० ) विद्रुम, दूंगा। प्रवचन-संज्ञा, पु. (सं०) भली भाँति "पुरः प्रवालैरिव पूरितार्थया"-~-माघ । ( श्रोता को ) समझा कर कहना, वेदांग
प्रघास-संज्ञा, पु० (सं०) विदेश में रहना, व्याख्या । वि. प्रवचनीय ।
परदेश, स्वदेश छोड़ अन्य देश में निवास । प्रवण-संज्ञा, पु० (सं०) क्रमशः नीची होती प्रवासी- वि० (सं० प्रवासिन ) परदेशी, हुई भूमि, चौराहा, ढाल, उतार, पेट । वि० --- विदेशी, दूसरे देश में रहने वाला। नत, ढालुवाँ, झुका या बालू, नन्न, विनीत, } प्रवाह-संज्ञा, पु० (सं०) जल-कोत, पानी का उदार, रत, प्रवृत्त ।
बहाव, धारा, चलता हुआ कार्य-क्रम, प्रवत्स्यत्पतिका-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) वह शिलशिला, लगातार जारी रहना।
नायिका जिसका स्वामी विदेश जा रहा हो। प्रधाहत- वि० सं०) बहता हुआ। प्रवत्स्यत्प्रेयसी, प्रवत्स्यद्भत का--संज्ञा, प्रवाही- वि० (सं० प्रवाहिन् ) बहने या स्त्री० यौ० (सं०) प्रवत्स्यत्पतिका ।
बहाने वाला । स्त्री० प्रवाहिनी।
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