________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पुड़ा
११३८
पुत्तरी-पुत्तली पुडा--संज्ञा, पु० दे० (सं० पुट ) बंडल या | पुण्याई-पुन्याई-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० पुण्य,
बड़ी पुड़िया । स्त्री० अल्पा० पुड़िया। पुन्य-+ आई ---प्रत्य० ) सुकृत कर्म, पुण्य पुडिया-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पुटिका) का प्रभाव या फल । किसी वस्तु के ऊपर संपुटाकार लपेटा पुण्यात्मा-वि० यौ० (सं० पुण्यात्मन्) दानी, काग़ज़. पुड़िया में रक्खी दवा की एक मात्रा, | सुकर्मी, धर्मात्मा, पुण्यशील । घर, स्थान, श्राधार, भंडार, खान । यौ० -- पराया-ना. प. यौ० सं.) पराय-जनक अाफ़त की पुड़िया-~-शैतान। शुभ दिन, अच्छा दिन । पुण्य-वि० (सं०) शुभ, अच्छा, पुनीत । | पुण्याहवाचन--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देव संज्ञा, पु० धर्म-कर्म, सुफलप्रद पावन काम, कर्मो के अनुष्ठान में स्वस्ति-वाचन के प्रथम शुभ कार्य का संचय ।
मंगलार्थ तीनि बार 'पुण्याह' कहना। पुण्यकर्म --संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धर्म, पवित्र, पुतरा, पुतला-संज्ञा, पु० दे० (सं० पुत्रक) या शुभ कार्य ।
काष्ट, तृण, मिट्टी, वस्त्र श्रादि से क्रीड़ापुण्यकाल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शुभ या कौतुकार्थ बनी हुई मनुष्य की मूर्ति,
पवित्र समय, दान-धर्म करने का समय । गुड्डा, । स्त्री० पुतरी, पुतली । मुहा०पुण्यकृत वि० (सं०) पुण्यकर्ता, धार्मिक, किसी का पुतला बाँधना--निन्दा या सुकृती, सुकर्मी।
बदनामी करते फिरना। पुण्यक्षेत्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) तीर्थ, वह पतरी, पुतली-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पुत्रिका, स्थान जहाँ जाने से पुण्य हो। | पुत्तली ) काष्ट, धातु, तृण, वस्त्र आदि से पुण्यगंध-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चंपा का | कौतुकार्थ बनी स्त्री की मूर्ति, छोटा पुतला, फूल । "पुण्यगंधवहः शुचिः"- भा० द० । गुड़िया, आँख का काला भाग, प्रतरि, पुण्यजन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) यक्ष, राक्षस, प्रतंगे (ग्रा०) । 'अंत लूटि जैहौ ज्यौं पूतरी सज्जन मनुष्य।
बरात की” । मुहा०-पुतली फिर पुण्यजनेश्वर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कुवेर। | जाना--- आँखें उलट जाना, नेत्रस्तब्ध पुण्यपत्तन-संज्ञा, पु० (सं०) पूना नगर । हो जाना, ( मृत्यु- चिन्ह ) । आँख की पुण्यभूमि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) बारा- पुतली बनाना (चख-पूतरी करना)वर्त, भरतखंड, तीर्थस्थान ।
अति प्रिय बनाना ( करना) । " करौं पुण्यवान्-वि० ( सं० पुण्यवत् ) पुण्यशील,
तोहि चख-पूतरि पाली "--रामा । धर्मात्मा, पुण्यकर्म करने वाला, दानी।
कपड़ा बुनने की मशीन । यौ०-पुतली. स्त्री० पुण्यवती।
घर-कपड़ा बुनने का कार्यालय, कल्लपुण्यशील-संज्ञा, पु० (सं०) दानी, उदार,
कारखाना । धर्मात्मा, सुकर्मी।
पुताई-पोताई-संज्ञा, स्त्री० ( हि० पोत्तना+ पुण्यश्लोक-वि० यौ० (सं०) पवित्र पाच- आई---प्रत्य० ) पोतना क्रिया का भाव, रण या चरित्रवाला, यशस्वी, ( स्त्री० पुण्यः | पोतने का कार्य या मज़दूरी । श्लोका ) । " पुण्यश्लोक शिखामणिः " | पुत्त -संज्ञा, पु० दे० (सं० पुत्र ) लड़का, - स्फु० । विष्णु युधिष्टिर राजानल। बेटा, पूत, ( दे०)। पुतवा, पुतुवा, पुत्त, पुण्यस्थान-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) तीर्थ- (ग्रा.)। स्थान, पुण्यस्थल।
। पुत्तरी-पुत्तली*-- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०
For Private and Personal Use Only