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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुच्छ ११३७ पुठपाल हलका लेप, छुटी हुई तोप, बंदूक आदि पुजैया -संज्ञा, पु. ( हि० पूजना ) पूजक, की गर्म नली के ठंढा करने को गीला वस्त्र पुजारी। सज्ञा, पु. ( हि० पूजना =भरना ) फेरने का कार्य, प्रोत्साहक या प्रसन्नकारक | भरने या पूरा करने वाला। संज्ञा, स्त्री० (दे०) वाक्य, चापलूसी, बढ़ावा, झूठी बड़ाई। पूजा, पुजारिनि । पुच्छ-संज्ञा, स्त्री. (सं०) पूँछ, दुम, पिछला | पुट-संज्ञा, पु० (अनु०) मिलावट, बोर देना, भाग । संज्ञा, पु.--केतु ( ज्यो०)। दुबोना, कम मेल, भावना, हलका छिड़काव, पुच्छल-वि० दे० ( हि० पुच्छ ) पूंछ वाला, छींटा, बोर । संज्ञा, पु० (सं०) आच्छादन दुमवार । यौ०-पुच्छलतारा-केतु । आच्छादक, दोना, ढक्कन, कटोरा. मुँहबन्द पुच्छल्ला-संज्ञा, पु० दे० (हि० पूछ+ ला- बरतन (वै०),औषधि बनाने का संपुट, या प्रत्य० ) बड़ी लम्बी पूंछ, पूँछ सी पीछे | दो बराबर पात्रों के मुँह मिलाकर जोड़ने से जुड़ी वस्तु, पाश्रित, पिछलगा, खुशामदी, बना खूब बन्द घेरा, घोड़े की टाप, अंतःपट, चापलूस, अनावश्यक साथ लगी वस्तु या अंतरोटा. दो नगण, मगण, रगण से बना पीछे लगा व्यक्ति । एक वर्ण वृत्त (पि०)। पुछारा--संज्ञा, पु० दे० (हि. पूछना ) पुटकी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पुटक ) गठरी, पूछने या सत्कार करने वाला, (दे०) मोर। | पोटली,पोटरी (ग्रा.)। संज्ञा, स्त्री० दे० पुछया-वि० (दे०) पूछने वाला। ( हि०पटपटाना - मरना) दैवी विपत्ति या पुजना-अ० कि० (हि०) पूजा जाना अराध. आपत्ति, अचानक मृत्यु । संज्ञा, स्त्री० (हि. बीय या, सम्मानित होना, सरकार पाना । पुट = हलका मेल ) मिलावट पालन (तर(स० रूप पुजाना प्रे० रूप पुजवाना)। कारी के रस को गाढ़ा करने को डाला गया पुजवना- स० क्रि० दे० (हि० पूजना)| बेसन आदि पदार्थ )। सफल या पूरा करना, भर देना, भरना, पुरपाक संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पत्ते के दोनों पुजाना। या दो सम पात्रों में रख कर औषधि पकाने पुजवाना-स० क्रि० (हि.पुजना का प्रे० रूप) की विधि, मुँह-बंद बरतन को गढ़े में रखकर पूजा में प्रवृत करना, पूजा कराना,सेवा सम्मान | औषधि पकाने की रीति ( वै०)। करवाना, अपनी पूजा या सेवा कराना । पुटी- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० पुट ) छोटा संज्ञा, स्त्री० पुजवाई। कटोरा या दोना, पुड़िया, लँगोटी, कुछ पुजाई-संज्ञा, स्त्रो० (हि० पूजना ) पूजने वस्तु रखने का रिक्त स्थान । का भाव या कार्य या पुरस्कार। पुटीन-संज्ञा, पु० दे० (अ० पुटो ) एक पुजाना-स० क्रि० दे० ( हि० पूजना ) धन | मसाला जो किवाड़ों में शीशे लगाने में वसूल कराना, भेंट चढ़वाना, सेवा-सम्मान | ___ या लकड़ी के जोड़ भरने में काम देता है । करना, पूजा में नियुक्त या प्रवृत्त करना, पुट्ठा-संज्ञा, पु० दे० (सं० पुष्ट, पृष्ठ ) चूतड़ अपनी पूजादि कराना । स० कि० (हि. का ऊपरी भाग, जो कुछ कड़ा हो, घोड़ों या पूजना-पूरा होना ) भर देना, पूरा या सफल | चौपायों के चूतड़, किताब की जिल्द के करना। पीछे का भाग। पुजापा-संज्ञा, पु० दे० (सं० पूजा+पात्र ) | पुठवार -क्रि० वि० दे० (हि० पुट्टा ) पीछे, देवादि की पूजा का सामान या सामग्रो।। पार्श्व या बग़ल में । पुजारी-पुजेरी-संज्ञा, पु० दे० (सं० पूजा+ | पुठवाल-संज्ञा, पु० दे० (हि. पुठा+वालाकारी) देव-मूर्ति की पूजा करने वाला, पूजक। । प्रत्य०) सहायक, पृष्ठ-रक्षक । मा.श. को-१४३ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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