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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पिनपिनाना ११२६ पियूख पिनपिनाना-अ० क्रि० दे० (हि. पिन पिन)। स्वामी, पति, प्यारे । “जानकी न ल्याये रोगी या कमजोर बच्चे का रोना। पिय ल्याये ज्वान जानकी"। पिनाक-संज्ञा, पु० (सं०) शिव-धनु पियर-पियरा-वि० दे० ( सं० पीत ) पीले अजगव, त्रिशूल । रंग का, पीला, पियरो (व) स्त्री० "छूतहि टूट पिनाक पुराना"-रामा०।। पियरी। पिनाकी-संज्ञा, पु. ( सं० पिनाकिन् ) पियराई-संज्ञा, खो० दे० (हि. पियर) शिव जी। पीलापन । पिन्ना-संज्ञा, पु० (दे०) पीना (ग्रा०) तिल पियराना* ~अ० स्त्री० दे० (हि० पियरा) की खली। वि० बहुत रोने वाला। पीला पड़ना या होना। पिनो-संज्ञा, स्त्री० (हि. पिन्ना) पीसे चावल पियरी-वि० स्त्री० (दे०) पीली । संज्ञा, स्त्री० के लडडू । वि० स्त्री० बहुत रोने वाली। (हि० पियर ) पीली धोती (ब्याह की)। पिन्हाना-स० क्रि० दे० (हि. पहनाना) पियल्ला*-वि० दे० (हि० पीला) पीला। पहनाना। संज्ञा, पु. ( हि० पीता) दूध पीता बच्चा, पिपरामूल या पिपरामूर-संज्ञा, पु० दे० पिल्ला । (सं० पिप्पलीमूल ) एक औषधि (वै०)। पियाना-स० क्रि० दे० (हि. पिलाना) पिपासा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) प्यास, तृषा, पिलाना। लोभ । “जातें लगै न छुधा, पिपासा।" पियार-संज्ञा, पु० दे० (सं० पियाल) चिरौंजी पिपासित-वि० (सं०) तृषित, प्यासा । का पेड़ पियाल । संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रिया) पिपासु-वि० (सं०) पिपासू (दे०), प्यार । वि० (हि० प्यारा) पियाग। प्यासा, तृषित, लोभी। " होते प्रलयंकर __ " रामहि केवल प्रेम पियारा".-रामा० । पिपासू कालकूट के'--अनूप । पियारा-वि० दे० (हि. पियारा ) प्यारा । पिपील, पिपीलक-संज्ञा, पु० (सं०) स्त्री० पियारी ।। चोटा, चींटी । " जिमि पिपील चह सागर पियारी-वि० दे० स्त्री० (सं० प्रिया) प्यारी, थाहा"-रामा । " पिपीलिका नृत्यति दुलारी। “सासु, ससुर, गुरु-जनहि पियारी"। पह्नि-मध्ये " स्त्री० पिपीलिका। पियाल-संज्ञा, पु० (सं०) चिरौंजी का पेड़ । पिपीलिका-भक्षक या भक्षी-संज्ञा, पु० पियाला-संज्ञा, पु० दे० (हि प्याला ) यौ० (सं०) चोटियाँ खाने वाला एक जंतु प्याला । "पियाला पिया ला अंगरी मुझे"। (अफ्रीका)। पियासा-संज्ञा, पु० दे० (सं० पिपासित या पिपीलिका-मातृक-दोष-संज्ञा, पु० यौ० पिपासु) प्यासा, तृषित । "पाली सो पिया सा (२०) बालकों की एक बीमारी (वैद्य०)। है पियासा प्रेम रस का"। पिप्पल-संज्ञा, पु० (सं०) अश्वत्थ, पीपल पियासी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० पियासा) पेड़ । प्यासी । “दरस-पियासी दुखिया सी पिप्पली-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पिपरी, पीपल, ब्रजवासी बाल"-मना। पीपर (दे०)। पियासाल- संज्ञा, पु० दे० (सं० पीतसाल, पिप्पलीमूल-संज्ञा, पु. ( सं०) पिपरा- प्रियसालक ) बहेड़े का सा एक वृक्ष । मूर। "पिप्पली, पिप्पलीमूल, विभीतक | पियूख*-संज्ञा, पु० दे० (सं० पीयूष) पियूष, महौषधेः "-लोलं। पीयूख (दे०) अमृत । " ऊख मैं महूख मैं पिय-पिया --संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रिय ) | पियूख मैं न पाई जाय "-रा० भट्ट० । भा० श० को.-१४२ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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