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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाद्यक पानी पाद्यक-संज्ञा, पु० (सं०) पाद्य देने का पानात्यय-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अति मद्यएक भेद विशेष । पान से उत्पन्न एक रोग (वै०)। पाद्यार्घ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाँव धोने का पानासक्त -- वि० यौ० (सं०) मद्यप्रिय । जल, पूजा की सामग्री। | पानाहार-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) अन्न-जल, पाधा-संज्ञा, पु० दे० (सं० उपाध्याय) | खाना-पीना। श्राचार्य, पंडित, उपाध्याय, पुरोहित । पानि-पानी--संज्ञा, पु० दे० ( सं० पाणि ) पान--संज्ञा, पु. ( सं०) पीना, खाना. सेवन हाथ । संज्ञा, पु० दे० (सं० पानीय) पानी। करना, जैसे-यौ० मद्यपान- शराब पीना । “जोरि पानि प्रस्तुति करत"-रामा० । यौ० खानपान । पेय द्रव्य, पीने की वस्तु, पानिग्रहन - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० पानी, मद्य, कटोरा, प्याला। संज्ञा, पु. पाणि ग्रहण ) विवाह, व्याह । (सं० प्राण ) प्राण, शन (दे०)। संज्ञा, पानिप-संज्ञा, पु० दे० ( हि० पानी+पपु. ( सं० पर्ण ) पत्र, ताँबूल । संज्ञा, पु० प्रत्य०) कांति, द्युति, चमक, श्रोप, श्राब । दे० ( सं० पाणि ) पानि, हाथ । मुहा०- " सकल जगत पानिप रह्यो बूंदी में पान देना -- बीड़ा देना। पान लगाना- ठहराय"--ललित। कत्था-सुपारी आदि से पान बनाना । यौ० | पानिय-संज्ञा, पु० दे० ( सं० पानीय ) पानी पान-पत्ता--लगा या बना पान, तुच्छ “प्यासी तजौं तनु-रूप-सुधा बिनु पानिय पूजा या भेंट । यौ० पानफूल--सामान्य पीको पपीहै पिधाओ"--हरि० । उपहार या भेंट, अत्यन्त मृदु वस्तु। पानी-संज्ञा, पु. ( सं० पानीय ) आक्सीजन पान बनाना -- बीड़ा तैयार करना , और हाईड्रोजन गैसों से बना एक द्रव पदार्थ पान लगाना । पान लेना--- बीड़ा लेना, (विज्ञा०), जल. अंबु, तोय। मुहा०-पानी तास के रंगों का एक भेद । का बतासा या बुलबुला-- नश्वर, क्षणपानगोष्ठो-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) मद्य- भङ्गर वस्तु । पानी का फेन या फफोलापान की.मंडली या सभा। "पानी कैसो फेन और जल को फफोला है" पानड़ी-संज्ञा, स्त्री. (हि. पान+डो- -पद्वा०। पानी की तरह बहाना - अंधा प्रत्य० ) एक सुगंधित पत्ती। धंध खर्च करना, बिना सोचे-समझे व्यय पानदान-संज्ञा, पु० (हि० पान - फा० करना । पानी के मोल-बहुत कम मूल्य दान-प्रत्य० ) पान का डिब्बा, एनडब्बा । पर, बहुत ही सस्ता । पानी टूटना-कुएँपानरा-पनारा--संज्ञा, पु० दे० (हि० पनारा) ताल में पानी का बहुत ही कम हो जाना। नाबदान, नरदवा, नर्दा (ग्रा.)। पानी देना-सींचना, पितरों के नाम पर पाना--स० क्रि० दे० (सं० प्रापण ) प्रात पानी डालना, तर्पण करना । पानी पढ़ना करना, वापस मिलना, भोगना, समर्थ या --मंत्र पढ़कर पानी फूंकना। पानी परोरना बराबर होना, भोजन करना, खाना, (साधु) -पानी पढ़ना या फूंकना। पानी पानो पावना, अधिकार में करना, पता या भेद होना-शरम के मारे कट जाना, लज्जित पाना, सुन या जान लेना, अनुभव या होना । पानी फूकना--मंत्र पढ़कर पानी साक्षात् करना, समझना, देखना, जानना, में फूंक मारना । किसी पर पानी फेरना मिलना । वि० भातव्य - पावना। या फेर दना डालना, गिगना) मटियापानागार-संज्ञा, पु. यो० (सं०) शराब- मेट या चौपट कर देना । किसी के सामने खाना, मधुशाला, हौली (ग्रा०) । पानी भरना-अधीनता स्वीकार करना, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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