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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाध पाथोज १११४ पाथोज-संज्ञा, पु० (सं० ) कमल । • भूपाल-मौलि-मणि-मंडित पाद-पीठ" पाथोद-संज्ञा, पु० (सं० ) मेघ, बादल। -भो० प्र० पाथोधर-संज्ञा, पु. (सं०) मेघ, बादल। पादपुरण-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) छंद पाथोधि- संज्ञा, पु. (सं०) समुद्र । " जेहिं के किसी चरण के पूरा करने के हेतु रखा पाथोधि बँधायो हेला"- रामा० । गया शब्द, किसी पद का पूरक वर्ण या शब्द। पाथोनिधि-संज्ञा, पु० (सं०) समुद्र। पादप्रक्षालन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाँव पाद-संज्ञा, पु० (सं०) पाँव, चरण, पैर, छंद धोना। का चौथाई भाग, चरण, पद, बड़े पहाड़ के पादप्रणाम - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाँव पास का लघु पर्वत, वृक्ष-मूल, तल, गमन ।। छू कर प्रणाम, साष्टांग दंडवत । संज्ञा, पु० दे० (सं० पर्द) अधोवायु पाद प्रहार- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) लात अपानवायु, गुदा-मार्ग की वायु। मारना, ठोकर मारना, पदाघात । पाद-कंटक-संज्ञा, पु० यो० (स.) बिछुना। पादरत-पादरक्षक-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) पादक-वि० (१०) चलने वाला, चौथाई।। जूता, पनही, खड़ाऊँ, पावड़ी, पोला (ग्रा०)। पादकीलिका-संज्ञा, स्त्री० (स०) पाज़ेब ।। पादरी--संज्ञा, पु० दे० (पुत्त पैड़े) ईसाई पादकृच्छ -संज्ञा, पु० यौ० (सं०) व्रत विशेष । धर्म का पुरोहित । पादखंड-सज्ञा, पु० यौ० (सं०) वन, जंगल । पादबंदन- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाँव पादग्रान्थ-संज्ञा, स्त्री० (सं०) ऍड़ी। | पड़ कर प्रणाम । पाद-डिर-संज्ञा, पु० (सं०) श्लीपद रोग, पादशाह-- संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) बादशाह । पीलपाँव रोग (वैद्य०)। पादहीन-वि० यौ० (सं०) बिना चरण का । पादाकुलक-- संज्ञा, पु० (सं०) चौपाई छंद। पादग्रहण-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाँव छूना। पादाक्रांता-वि० यौ० (सं०) पददलित, पादचत्वर-संज्ञा, पु० (सं०) बकरा, बालू का पाँव से रौंदा या कुचिला हुआ, पामाल | टीला, भोला, पीपल का पेड़ । वि. निन्दक, पादाति-पादातिक--संज्ञा, पु० (सं०) पैदल, चुगुलखोर। सिपाही, प्यादा, पयादा (दे०)। पादचारी-संज्ञा, पु० (सं० ) पैदल चलने पादारघ*-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० पाद्यार्थ) वाला। पाँव धोने के लिए जल। पाटीका-संज्ञा, स्त्री. (सं०) वह टीका या | पादार्पण-पदार्पण-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) टिप्पणी जो किसी ग्रंथ के नीचे लिखी प्रवेश करना, पाँव देना या रखना। "पादागयी हो, फुटनोट (अं०)। पणानुग्रह पूतपृष्ठम् "-रघु०।। पादतल-संज्ञा, पु० यौ० ( सं०) पाँव का पादी--संज्ञा, पु० (सं० पादिन) पाँववाले तलवा। जल-जन्तु, जैसे मगर। पादत्र-गादत्राण-संज्ञा, पु. यो० (सं०) पादीय-वि० (सं०) पदवाला, मर्यादा वाला। जूता, खड़ाऊँ, पावड़ी, पौला। पादुका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) खड़ाऊँ, पावड़ी। पादना-अ० क्रि० दे० ( सं० पर्दन ) अधो । “जे चरननि की पादुका, भरत रहे लव वायु छोड़ना, वायु सरना ।। लाय "-रामा० । पादप-संज्ञा, पु० (सं०) पेड़, वृक्ष, बैठने का पादोदक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चरणामृत, पीदा। पाँव का धोवन । पादपीठ-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) पीढ़ा, पाटा। पाद्य-संज्ञा, पु० (सं०) पाँव धोने का जल । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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