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पाँचाल
पांचाल - संज्ञा, पु० (सं०) पंचाल या पंजाब | पाँचालिका पाञ्चाली - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) द्रौपदी, पाँच-संज्ञा स्त्री० ( हि० पंचमी ) किसी पक्ष की पंचमी तिथि गुड़िया, नटी, रंडी, ५ या ६ दीर्घ समासयुक्त कांति गुण-पूर्ण पदावलीमय वाक्यविन्यास की प्रणाली या रीत (साहित्य) । पाँच -संज्ञा, स्त्रो० दे० ( हि० पंचमी ) किसी पक्ष की पंचमी तिथि ।
पाँजना -- स० क्रि० दे० (सं० पगाद्ध) झालना, टाँके लगाना, धातु के टुकड़े टाँकों से जोड़ना ।
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पाँजर - संज्ञा, पु० दे० (सं० पंजर ) बगल और कटि के बीच पसलियों वाला भाग, हड्डियों का पिंजरा या ढाँचा । क्रि० वि० (ग्रा० ) पास, समीप | संज्ञा, पु० ( प्रान्ती० ) 1 पसली, पार्श्व (सं० ) बगल | पाँती - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पदाति) नदी का ऐसा घट जाना कि उसे हिल कर पार किया जा सके ।
पाँझ --- वि० दे० (सं० पदाति ) पाँजी । पांडव - संज्ञा, पु० (सं० ) पांडु पुत्र, पांडु - तनय, पांडु-सुत, पाँडु के पुत्र कुन्ती और माद्री से उत्पन्न युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव, पांडु कुमार । वितस्ता (झेलम) के तट का देश ( प्राचीन ) । पांडव नगर - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दिल्ली । पांडित्य - संज्ञा, पु० (सं०) विद्वत्ता, पंडिताई । पाँडु - संज्ञा, पु० (सं० ) लाल मिला पीला रंग. स्वेत रंग, रक्त विकार अन्य एक रोग जिसमें शरीर पीला पड़ जाता है. पांडव वंश के एक आदि राजा युधिष्ठिरादि पाँच पांडवों के पिता, श्वेत हाथी परमल । यौ० पांडु फली - परमल या पारली । पांडुता-संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) पीलापन, पाँडुख, सफ़ेदी । पांडुर - वि० (सं० ) ( अप० पांडर ) पीला,
पाँव
सफेद | संज्ञा, पु० (स०) धौ वृक्ष, बगुला कबूतर, खड़िया कामलारोग | श्वेतकुष्ट ( वैद्य ० ) । पांडुलिपि – संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) मसौदा, पाँडुलेख, कच्चालेख | पांडुलेख - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) पांडु - लिपि मसौदा लेखादि का परिवर्तनशील
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प्रथम रूप ।
पाँडे - संज्ञा, पु० दे० (सं० पंडित ) ब्राह्मणों की एक शाखा, पंडित, विद्वान । पाँडेय - संज्ञा, पु० दे० ( सं० पंडित ) पाँडे, ब्राह्मणों की एक शाखा, पंडित, विद्वान् । पाँतर -- संज्ञा, पु० (दे० ) उजाड़, निर्जन । पाँत, पाँति, पाँती, संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पंक्ति) पंक्ति, पंगति, कतार, एक साथ भोजन करने वाले जाति के लोग ।
पाँथ - वि० (सं०) बटोही, पथिक, यात्री, विरही, वियोगी ।
पाँथ - निवास - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धर्मशाला. सराय, चट्टी, पाँथशाला । पौधशाला - संज्ञा, खो० यौ० (सं०) पाँथ - निवास, सरॉय, धर्मशाल, चट्टी । पाँश - संज्ञा, पु० दे० ( फा० पापोश) जूता, पनहीं ।
पाँय संज्ञा, पु० दे० पैर, चरण, । " पाँय छाँहीं "... - रामा० । पाँयचा- संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) क़दमचा, पाखाने में शौच के लिये बैठने का स्थान, पायजामे की मोहरी ।
(सं० पाद) पाँव, पखारि बैठि तरु
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पाँयता - संज्ञा, पु० दे० ( ( हि० पाँय + तल ) पैंता, पैंताना, खाट पर लेटने में जिस ओर पाँव रहते हैं । नीच, पापी मूर्ख | गाँव - संज्ञा, पु० दे० (सं० पाद) गोड़ (प्रान्ती०) पैर, चरण, पद, पाँय । मुहा०-- पाँच उखड़ना - ( जाना ) हार जाना, हिम्मत छोड़ कर भागना । पाँव उठाना - शीघ्रता या वेग से चलना | पाँच उतरना ( उखड़ना) - पाँव का उखड़ या टूट जाना या फूलना । पाँव