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गाँव
११०७
पांव
काँपना-(डगमगाना -डरना, भय | पर पांव रवना-अनुकरण करना, दूसरे की भीत होना । पाँव (किसी का) उखाड़ना चाल पर चलना, शीघ्रता करना। पाँव -किसी को किसी स्थान पर ठहरने या | पखारना-पैर धोना । "पाँव पखारि बैठि जमने न देना। किसी के गले में पांच | तरुछाँहीं" । पाँव पाँव चलना-पैदल डालना-तर्क द्वारा उली की बातों से चलना । पाँव पोटना - घबराना, अधीर उसे दोषी ठहराना । पाँव घिसना ( घिम होना, व्यर्थ परिश्रम या निष्फल उद्योग करना। जाना ) बहुत चलना, चलते चलते पाँव पना (परना )-पैरों पर गिर कर था जाना। पांच चल जाना- प्रणाम करना. दीनता से प्रार्थना करना, डगमगाना, अस्थिर होना। पाँव (न) पाँव पर गिरना, पाँव पूजनाजमना-दृढ़ता पूर्वक (न) स्थिर होना भक्ति करना. पृथक या अलग रहना, व्याह में या ठहरना, विचलित हो न हटना । कन्या-पक्षवालों का वर-कन्या के पैर पूजना । पांव जमीन पर न ठहरना ( रग्बना )- पाँव पसारना-- पैर फैलाना, मरना, अत्यंत प्रसन्न होना, मारे हर्ष के फूल भाडंबर या ठाठ-बाट बढ़ाना, अति करना, जाना। अभिमान करना । पाँच डालना पाँव (पैर) फूक फूक कर रखना(पैर रखना)-किसी कार्य को प्रारंभ | सावधान रहना, सावधानी से चलना, विचार करना वा करने को उद्यत होना । पाँव पूर्वक कार्य करना । पाँव फैला कर सोना डिगना-फिसलना रपटना या किसी ----निश्चित या बेधड़क या निर्भय रहना। कार्य से निराश होना । पाँव तले से मिट्टी पाँव फेलाना--अधिकार बढ़ाना,प्रवेश या (जमीन ) निकल ( खिसक ) जाना---- पैठ या प्रसार करना, मचलना, ज़िद करना, श्राश्चर्य या भय की बात से ) स्तब्ध या सन्न पाकर अधिक के लिये लोभ से हाथ फैलाना। रह जाना, होश उड़ जाना । पाँव तले पाव बढ़ाना--वेग से चलना, अतिक्रमण मलना (पद-दलित करना)-दुख या पीड़ा करना, आगे (अधिक ) बढना, पैर धागे देना, पीड़ित करना, कुचलना । पाँव तोड़ना- रखना । पाँध मर जाना-श्रांत होना, थक किसी के कार्य में विघ्न या बाधा डालना. जाना। पाव भर जाना-श्रांत या थक हाँनि पहुँचाना, बड़ी दौड़-धूप या कोशिश जाना, थकावट से पैरों का भारी होना। करना, इधर उधर हैरान हो दौड़ना । पाँव भारी होना-गर्भ रहना। पाँव भारी श्रालय में बैठा रहना, अधिक चलना । पड़ना-जोर से पैर पड़ना, थक जाना। पाँव पाँव तोड़ कर बैठना ( बैठ- रगड़ना-निष्फल या व्यर्थ काम करना, जाना ) हार कर बैठना, अचल या स्थिर व्यर्थ उद्योग करना, शोक वा दुख प्रगट करना। होना। पाँव धो धो कर पीना- पांव ( पद ) रोपना-प्रण या प्रतिज्ञा अधिक श्रादर या सत्कार करना, अत्यंत करना । "सभा माँझ प्रन करि पद रोपा"श्रद्धा-भक्ति करना. विनय करना । किसी के रामा०, "वहुरि पग रोपि को"-रत्ना० ! पाँव धरना ( पकड़ना) दीनता से पैर -पांव लगना-ठहरना, प्रणाम करना । छूकर विनय करना, प्रणाम करना । पाँव पाँध से पाँध बाँधना ( बाँध रखना)निकालना-मर्यादा छोड़ना, कुल की | सदा किसी के पीछे लगा रहना, कभी भी नहीं रीति को डाँक जाना । पाँव पकड़ना- छोड़ना, रक्षा या चौकसी करना। ) पाँव शरण में थाना, दीनता से विनती करना। भिड़ाना-बराबरी करना । पाँव सानापैर छूना, विनय कर जाने से रोकना। पाँव पाँव शून्य होना, झुनझुनी उठना । दवे
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