________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
परिदाह
१०१२
परोजन के पोते अभिमन्यु-सुत तक्षक के काटने से परुषोक्ति संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) कठोर या इनकी मृत्यु हुई इनके समय में कलियुग | कड़े वाक्य, नीरवचन, गाली-गलौज । का प्रवेश हुश्रा था।
परे-श्रव्य० (सं० पर) उधर, श्रागे उस परीदाह-संज्ञा, पु० दे० (सं० परिदाह) परि- ओर, अलग. बाहर, ऊपर बढ़कर. पीछे । दाह, जलना।
परेई-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० परेवा) कबूतरी, परीक्ष्य-वि० सं०)जाँच या परीक्षा के योग्य । पंडुकी , फाखता (फ़ा०) । “पट पाँखे भख परीखना -स. क्रि० दे० (हि० परखना) काँकरे सदा प'ई संग"-वि.। परखना, जाँचना।
परेखना स० क्रि० दे० (सं० प्रेक्षण) परपरीछत-परीछित*-संज्ञा, पु० दे० (सं० खना जाँचना, राह या वापरा देखना। परीक्षित) परीक्षित, जाँची हुई, अनुभावित,
परेखा*-- संज्ञा, पु. दे. ( सं० परीक्षा) राजा परीक्षित।
परीना प्रतीति. विश्वास, पश्चाताप, खेद । परीछा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० परीक्षा इम्त- 'सुत्रा परेखा का करै " -स्फु० । हान जाँच. परीक्षा । परिच्छा (दे०)।
परेग-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अ०-पेग ) छोटा परीकित*-क्रि० वि० दे० (सं० परीक्षित)
काँटा। जाँची या परीक्षा की हुई अवश्यमेव । रेत-संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रेत) प्रेत भूत । पर्गज़ाद-वि० (फा०) अत्यन्त सुन्दर। परेता - संज्ञा, पु० दे० ( सं० परितः ) सूत परी*-संक्षा, पु० दे० (सं० प्रेत प्रेत. लपेटने की चरबी ( जुलाहा० )। भूत रेत (दे०)।
परेताना-स० कि० दे० सं० परितः) चरखी परीताप-संज्ञा, पु० दे० (सं० परिताप ) | में डोर लपेटना. सूत की फॅटी बनाना। परिताप. दुख, शोक।
परेरा-संज्ञा, पु० दे० (सं०पर = दर, ऊंचा+ परीषह-संज्ञा, पु० (सं०) जैन धर्मानुसार, एर-प्रत्य० पासमान, आकाश । २२ प्रकार के त्याग, सहन ।
गरेवा- संज्ञा, पु० दे० (सं० पारावत) कबूतर, परुख* वि० दे० (सं० परूष) परुष. कटु। पेंडुको, फाखता, (फ़ा. हरकारा, चिट्ठी
"परुन बचन सुनि कादि असि" रामा० रमाँ । स्त्री० परेई । " सुखी परेवा जगत में, परुखाई*-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. परुख + तूही एक विहङ्ग'- वि० । भाई-प्रत्य०) कठोरता, परुषता, परुखई | परेश- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) परमेश्वर । (दे०)।
परेशान-वि० फा०) व्याकुल उद्विग्न व्यग्र। परुष-वि० (सं०) (स्त्री० परुषा) कड़ा कठोर; / संज्ञा, स्त्री. रेशानी-उद्विग्नता, घबराहट । निर्दय, निठुर, बुरी लगने वाली बात। रेह-संज्ञा, पु. (दे०) कढ़ी जूस रमा। परुषता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) कड़ाई. कठोरता, | परों-गरौं*1-क्रि० वि० दे० (हि० परसों) निर्दयता, कर्कशता । संज्ञा, पु. गरुषत्व । ।
परसों। यौ० कल-परसों, परसों-नरसों। परुषा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) टवर्ग. संयुक्त, परोक्ष-संज्ञा, पु० (स०) प्रभाव गैरहाज़िरी। वर्ण तथा र, श, ष, क्त. दीर्घ समास वाली | वि० (सं०) जो देखा न गया हो गुप्त, छिपा। पद-योजना या वृत्ति (काव्य०), रावी नदी । यौ० परीक्ष-भूत-विगत भूतकाल (व्या०) परुषाक्षर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) टवर्ग के "परोने कार्य हतारम्-प्रत्यक्ष प्रियवादिनम् " कठोर या संयुक्त अक्षर व्यंग या निष्ठुर वचन, पोजन-संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रयोजन) तानाज़नी, कुवचन, कटूक्ति।
प्रयोजन, मतलब, आवश्यकता।
For Private and Personal Use Only