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परिसर
परीक्षित परिसर-संज्ञा, पु० (दे०) निकास, कगर। | खंडन, तिरस्कार, उपेक्षा, अनुचित कार्य का परिसर्प-संज्ञा, पु० (सं०) परिक्रमण, घूमना । प्रायश्चित ( सा० द०)। संज्ञा, पु० (सं०) फिरना, टहलना, खोजना । संज्ञा, पु० राजपूतों का एक वंश । परिसर्पण-किसी पात्र का किसी की परिहारना- स० क्रि० (दे०) प्रहार करना, खोज में मार्गगत चिन्हों से भटकना | मारना। "अभिमनु धाइ खङ्ग परिहारे''-सब०। (सा० द०) ११ कुष्टों में से एक (सुश्र०)। परिहारी-संज्ञा, पु. ( सं० परिहारिन् ) परिस्तान-संज्ञा, पु० (फा० ) परियों का त्याग, निवारण, दोष या कलंक को छिपाने
देश, सुन्दर स्त्रियों के जमाव का स्थान। या मिटाने वाला। संज्ञा, स्त्री० ( प्रान्ती) परिस्फुट-वि० सं०) जाहिर, प्रगट प्रका- हल की एक लकड़ी। शित, खिला हुमा, फूला हुमा। संज्ञा, पु. परिहार्य-वि० (सं०) परिहार-योग्य, बचाव, परिस्फुटन ।
या त्याग के योग्य, निवारण करने योग्य । परिस्यंद-संज्ञा, पु० (सं०) झरना, रसना। परिहास-संज्ञा, पु. (सं०) उपहास. दिल्लगी परिहँस, परिहम*--संज्ञा, पु० दे० (सं० कुतूहल, कौतुक । " रिस-परिहास कि सांचहु परहास ) हंसी, परिहास, दिल्लगी, ईया, साँचा"-रामा० । डाह । संज्ञा, पु० (दे०) खेद, दुख, रंज। परिहास्य-संज्ञा, पु. (सं०) हँसने या हास्य परिहन-वि० सं०) मरा, मृत।
के योग्य, उपहास्य, हँसी का पात्र । परिहरि-स० क्रि० पू० का० (हि० . परि-परिहित-वि० (सं०) वेष्टित, आच्छादित, हरना) त्याग या छोड़कर । “ गुरुसमीप परिधान किया या पहना हुआ । गवने सकुचि, परिहरि वानी वाम-रामा०।" | परी- संज्ञा, स्त्री० (फा०) तेल निकालने की परिहरण-संज्ञा, पु० (सं०) छीन लेना, परि- करछी, अप्सरा, देवांगना, स्वर्ग-बधूटी, स्याग, छोड़ना, तजना, दोष-निवारण, निरा- परमसुन्दरी, काफ पहाड़ की कल्पित संदर करण । वि० परिहार्य्य, परिहर्तव्य, परदार स्त्री (फा०)। परिहत।
परीच्छित-वि० (सं०) अन्य या दूसरे का परिहरना -स० क्रि० (सं० परिहरण ) इष्ट या ईप्सित. चाहा हुश्रा । परीक्षिततजना, छोड़ना, त्यागना । “ जनक-सुता संज्ञा, स्त्री० (दे०) परीक्षित राजा । वि०परिहरेउ अकेली"- रामा०।
जाँचा हुआ। परिहंस-संज्ञा, पु० दे० (सं० परिहास) परीक्षक-संज्ञा, पु० (सं०) परीक्षा या परिहँस, परिहास ।
इम्तिहान लेने वाला, जाँच-पड़ताल करने परिहा-संज्ञा, पु० (दे०) पारी से पाने | वाला। संज्ञा, स्त्री० परीक्षिका । वाला ज्वर, एक प्रकार का छन्द (पि०)। परीक्षण-संज्ञा, पु. (सं०) जाँच-पड़ताल परिहाना*-स० क्रि० दे० (सं० प्रहार) करना, इम्तहान लेना, निरीक्षण । वि. प्रहार करना, मारना । संज्ञा, पु० (सं०) हँसी परीक्षणीय। दिल्लगी, मजाक, खेल, क्रीड़ा।
परीक्षा - संज्ञा, स्त्री० (सं०) इम्तिहान. जाँचपरिहार--संज्ञा, पु० (सं०) (वि. परिहारक) पड़ताल, निरीक्षण, समीक्षा, गुण-दोष, बुराई, ऐब, दोष, अनिष्ट आदि के दूर करने सत्यासत्य, योग्यतादि का निर्णय, परिच्छा का उपाय या युक्ति, उपचार, औषधि, (दे०)। इलान, परित्याग, त्यागने का काम, पशुओं परीक्षित-वि. (सं०) जिसकी जाँच या के चरने की पड़ती भूमि, विजय-धन, छूट, परीक्षा की गयी हो ! संज्ञा, पु० (सं०) अर्जुन
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