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परिचय।
परिग्रह १०८५
परिजटन परिग्रह-संज्ञा, पु. (सं०) स्वीकार, प्रतिग्रह, परिचारिका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) सेवकिनी, दान लेना, भार्या, पत्नी, विवाह, परिवार । दासी । 'ये दारिका परिचारिका करि पालबी ग्रहण । वि० पारग्रह्य ( सं० )। “येषु दीर्घ | करुनामयी "--रामा । तपस परिग्रहः" --रघु० । धनादि संग्रह। परिचालक-संज्ञा, पु० (सं०) चलाने वाला। परिग्रहण - संज्ञा, पु० (सं०) पूर्ण रूप से परिचालन -सज्ञा, पु. (सं०) चलाना, लेना ग्रहण करना, कपड़े पहनना । वि०-- हिलाना, गति देना. कार्य-क्रम का जारी परिहाय।
रखना, चलने की प्रेरणा करना । वि. परिध- सज्ञा, पु० (सं०) लोहे की लाठी, परिचालित, परिचालनाय। स० क्रि० अर्गला घोड़ा. तीर, भाला, बरछी, गदा, (दे०) परिचालना : मगर घर फाटक बाधा प्रतिबंधा परिचालित-वि० (सं०) चलाया या हिलाया परिघोष - संज्ञा, पु. (सं०) शब्द विशेष,
हुआ, कार्य-क्रम जारी किया हुश्रा :
परिचित-वि० सं०) ज्ञात, जाना-समझा, मेघध्वान, कटु शद।
जाना-बूझा, परिचय-प्राप्त, अभिज्ञ । परिचय-संज्ञा, पु० (सं०) ज्ञान, जान-पह
परिचिति -- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० परिचय ) चान, जानकारा, अभिज्ञता, लक्षण, प्रमाण.
जानकारी, अभिज्ञता लतण. प्रमाण । किसी पुरुष के नाम, ग्राम, गुण आदि की
परिचय -- वि० (सं०, परिचय के योग्य । विशेष जानकारी ।
परित्रो, परचौ-- संज्ञा, पु० दे० (सं० परिचय) परिचयक---वि० (सं०) ज्ञापक, बोधक, परिचय या जान-पहिचान कराने वाला। परिच्छद - संज्ञा, पु. (सं०) पाच्छादन, परिचर-संज्ञा, पु० (सं०) सेवक, टहलू(दे०)। कपड़ा, ढकने का वन पट-परिधान, सामान,
हलवा (ग्रा०) रोगी का सेवक, सहायक। परिवार राज-सेवक, राजचिन्ह ।। परिचरजा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० परिचच्या) परिच्छन्न-वि० सं०) छिपा या ढका हुआ, सेवा, रोगी की सेवा-शुश्रूषा ।
वस्त्रयुक्त, स्वच्छ किया हुआ। परिचरी- संज्ञा, स्त्री. (सं०) दासी, टहलुई। परिच्छिन्न-वि० (सं०) सीमा या मर्यादापरिचर्या- सज्ञा, स्त्री० (सं०) टहल, सेवा, युक्त, परिमित, विभक्त । रोगी की सेवा-शुश्रूषा ।
परिच्छेद--संक्षा, पु० (सं०) टुकड़े या खंड परिचयक-संज्ञा, पु. (सं०) जान-पहचान करना, विभाजन, पुस्तक का कोई स्वतंत्र
या परिचय कराने वाला, सूचक, सूचित भाग, अध्याय, प्रकरण । करने वाला।
परिछन-संज्ञा, पु० दे० (हि० परछन ) परिचार--संज्ञा, पु० (सं०) टहल, सेवा, सैर परछन (दे०), विवाह में द्वाराचार पर वर या टहलने की जगह ।
की भारती श्रादि की रस्म । परिचाक-संज्ञा, पु० (सं०) भृत्य, सेवक, परिछाही-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० परछाई) नौकर-चाकर, रोगी की सेवा करने वाला। परिकॉई (दे०), प्रतिबिम्ब । "जल विलोकि परिचारगा-- संज्ञा, पु० (सं०) सुश्रूषा या तिनकी परछाही" - रामा० ।
सेवा करना, साथ या संग करना या रहना। परिजंक*-संज्ञा, पु० दे० (सं० पर्य्यक) पलंग, परिचारना*-२० क्रि० दे० (सं० परिचारण) पर्यक, प्रजंक, एजक, परजंक (दे०) । सेवा या सुश्रूषा करना।
। परिजटन-संज्ञा, पु० दे० (सं० पर्यटन ) परिचारिक--संज्ञा, पु. (सं०) दास, सेवक।। पर्यटन, घूमना-फिरना, टहलना, यात्रा करना ।
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