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परिक १०८४
परिगृह्या परिक-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) खोटी चाँदी। परिक्षा, परिच्छा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० परिकर-संज्ञा, पु० (सं० ) कटि-बंधन, परीक्षा) परीक्षा इम्तहान, जाँच, देखभाल । कमरबंद, पलंग, चारपाई, परिवार, समारंभ, परिक्षित, परीछित-संज्ञा, पु० दे० (सं० समूह, वृन्द, सहकारी, विवेक । “मृग- परीक्षित) राजा परीक्षित । वि० (दे०) विलोकि कटि परिकर बाँधा” -रामा०। परीक्षा लिया हुआ। साभिप्राय विशेषणों वाला एक अर्थालंकार परिक्षिप्त-वि० (सं०) खाँई श्रादि से घिरा (म०पी०)।
हुधा। परिकरमा*--संज्ञा, पु० दे० (सं० परिक्रमा परिक्षांद्रा-वि० (सं०) निर्धन, कंगाल । परिक्रमा, प्रदक्षिणा। " अर्धापन बैठार | परिखन वि० दे० ( हि० परिखना ) रक्षक, बहुरि परिकरमा दीन्ही"-नन्द० भ्र० गी। चौकसी या रखवाली करने वाला। परिकरांकुर-संज्ञा, पु. (सं० ) एक परिखना-स० कि० दे० ( हि० परखना ) अर्थालंकार, जिसमें साभिप्राय विशेष्य पाता | । परखना, परीक्षा या जाँच करना, बुराहै (अ० पी०)।
भला पहिचानना, प्रतीक्षा करना। " तब परिकर्म--संज्ञा, पु० (सं०) कुंकुम आदि के | लगि मोहिं परिखियो भाई"-- रामा० । द्वारा अंग-संस्कार, स्नान करना, उबटन परिखा- संज्ञा, स्त्री. (सं०) खाँई, खंदक । लगाना।
"लंका कोट समुद परिखा है। परिकर्मा-संज्ञा, पु. (सं०) सेवक, दास, परिखाना--स० क्रि० दे० ( हि० परखना) रहलुआ, किकर।
ऊँचाना, परखाना, परीक्षा या प्रतीक्षा परिकल्पन-संज्ञा, पु० (सं०) प्रवंचन, दगा- कराना। बाज़ी, धोखाधड़ी छल ।
परिख्यात--वि० (सं०) विख्यात, प्रसिद्ध । परिकल्पना --- संज्ञा, स्त्री. (सं०) उपाय, परिगणन--संज्ञा, पु० (सं०) गिनना, गणना चिन्ता, चेष्टा, उद्योग, कर्म, क्रिया। करना । वि. परिगणित, परिगणनीय, पारकीर्ण-वि० (सं०) व्याप्त, विस्तृत, सम- परिगण्य । पित।
परिगणित-वि० (सं०) ठीक ठीक गिना परकीर्तन-संज्ञा, पु० (सं०) प्रस्ताव, स्तुति, हुश्रा।
बड़ाई, प्रतिष्ठा या प्रशंसा करण । | परिगत-वि० (सं०) प्राप्त, लब्ध, विदित, परिकूट--संज्ञा, पु० (सं०) शहर के फाटक ज्ञात, विस्मृत, गत, वेष्टित । की खाँई।
परिगह-संज्ञा, पु० दे० ( सं० परिग्रह ) परिक्रम- संज्ञा, पु० (सं०) टहलना, फेरी
कुटुंबी, आश्रित जन, संगी-साथी। देना, घूमना।
परिगहना-स० कि० ( हि० परिगह ) ग्रहण परिक्रमण-संज्ञा, पु० (सं०) टहलना या अंगीकार करना। " लटे लटपटेन को
घूमना, परिक्रमा करना। वि० परिक्रमणीय! कौन परिगहैगो" -विन० । परिक्रमा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) प्रदक्षिणा, परिगठित-वि० (सं०) ढका या छिपा किसी के चारों ओर घूमना, फेरी या चक्कर हुआ। देना, किसी देव-मंदिर प्रादि के चारों ओर पारगृहीत-वि० (सं०) मंजूर, स्वीकृत, घूमने का मार्ग. पारकरमा (दे०)। मिला हुआ. शामिल। परिक्षत--- वि० (सं०) नष्ट, भ्रष्ट । परिगृह्या--वि० स्त्री० (सं०) विवाहिता स्त्री परिक्षध-संज्ञा, पु० (सं०) छींक।
धर्म-पत्नी।
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