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पताका २०६३
पतिवती पताका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) झंडा, फरहरा । | पतिवार-पतियार--संज्ञा, पु० दे० (हि. मुहा०—किसी स्थान में (पर) पताका पतिमाना, पतियाना) साख, एतवार, विश्वास। उड़ाना-अधिकार या राज्य होना, सर्व । पतित-वि० सं० ) गिरा हुआ, आचारप्रधान या श्रेष्ठ माना जाना । किसी वस्तु विचार या धर्म से गिरा हुआ, पापी,, जाति की पताका उड़ाना-ख्याति या धूम | या समाज से च्युत, नीच, अधम । स्रो० होना। पताका बाँधना (खड़ा करना)- पतिता। आतंक जमा देना, विजयी होना । पताका | पतित-उधारन* -- वि० दे० यौ० (सं० पतित उड़ाना-अधिकार करना, विजयी होना । +हि० उधारना ) अधमों और नीचों का पताका गिरना-पराजय या हार होना। उद्धार करने या तारने वाला। संज्ञा, पु. विजय की पताका--जीत का झंडा, (हि.) परमेश्वर । पिंगल में छंद-प्रस्तार सम्बन्धी गणित की पतितता--संज्ञा, स्त्री. (सं० ) नीचता, एक क्रिया।
अधमता। पताका-स्थान-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) झंडा पतित-पावन-वि० यौ० (सं०) नीचों या की जगह, नाटकीय एक संधि ।।
अधमों का पवित्र करने वाला । संज्ञा, पु. पताकिनी--संज्ञा, स्त्री० (सं०) सेना, नौज। परमेश्वर । " हरि हम पतित पावन सुने" पतार*1-संज्ञा, पु० दे० (सं० पाताल ) -विनय० । स्त्री० पतित पावनी। पाताल, जंगल, घना वन । लो०-अहिर | पतित्व-संज्ञा, पु० (सं०) प्रभुत्व, स्वामित्व पतारे केवट घाट"।
पति होने का भाव । पताल-पत्ताल संज्ञा, पु० दे० (सं० पाताल) पति देवता-पति देवा-संज्ञा, स्त्री. यौ० पाताल । वि० पताली ( सं० पातालीय) (सं०) पतिव्रता । " पतिदेवता सुतियन यौ० सरगपताली-ऐंचाताना।
महँ, मातु प्रथम तव रेख "--रामा । पताल-आँवला--संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० । पतिनी* --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पनी) पाताल मामलको ) एक औषधि का तुप। स्त्री, पत्नी, नारी। जेहि रज मुनि-पतिनी पताल-कुम्हडा-- संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० । तरी"-रही । “पतिनी पति लै पितु पाताल-कुष्मांड ) एक वन-वृक्ष जिसकी गाठों ऊपर सोई । पति प्रीता (प्रिया )से शकरकंद या कंद होती है।
वि० यौ० (सं०) पति-प्रेम वाली। पतिगा-संज्ञा, पु० दे० (सं० पतंग ) पतंग पतिभक्ता-वि. यौ० (सं०) पतिव्रता । पतींगा।
" पति-भक्ता न या नारी, ब्यवसायी न यः पतिवरा-वि० स्त्री० यौ० (सं०) स्वयंवरा स्त्री।
मी। पुमान्"। पति--संज्ञा, पु० (सं०) स्वामी, अधिपति, पतियारा-संज्ञा, पु० दे० (हि० पतियाना) मालिक, दूल्हा, शिव, परमेश्वर, प्रतिष्ठा, विश्वास, यकीन, एतबार। यौ० (हि.) पति मर्यादा, इज्जत । "पंच पतिहू के पति हूँ __ का मित्र । की पति जायगी"-रत्ना० । स्त्री. विलो. पतिराखन-पतिराखनहार-वि० यौ० पत्नी।
(हि०) लज्जा का रक्षक। पतिआना-पतियाना---स० कि० दे० (सं० पतिलोक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) स्वामी के प्रत्यय + आना-प्रत्य०) पत्याना (७०), रहने का स्वर्ग या वैकुण्ठ ।। भरोसा या विश्वास करना, एतबार करना। पतिवतो-वि० स्त्री. ( सं० ) सधवा, " कहौं सुभाव नाथ पतियाहू"-रामा। सौभाग्यवती।
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