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देवांगना स्वरूप
१७. चंद्रावली:
अंजली बद्धा नतंकी च चंबावली सुलोचना
सुंदर लोचनयुक्त, अंजली मुद्रावाली, सन्मुख दृष्टिवाली देवांगना । चंद्रावली १८. पत्रलेखा (चंद्ररेखा): ..
दक्षिण हस्तकमले ताडपत्रं च धरित्रीका
ललाटे चंद्ररेखा च सनाम विस्तरे सदा उसके दाहिने हाथ में लेखनी है, ताड़पत्र धारण करके लेखन करती है
तथा उसके ललाट में चंद्र की रेखा है, ऐसी सदा विस्तारवाली। पत्रलेखा १९. सुगंधा :
__ सुगंधा च चक्रधर नृत्यं च कुर्वीत
चक्र को माथे पर धारण करके नृत्य करती देवांगना । सुगंधा २०. शत्रुमर्दिनी :
असिपुत्र घरा नृत्या शोभते शवमर्दिनी हाथ में छुरी धारण करके नृत्य से शोभायमान । शत्रुमर्दिनी
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माननी मानहंसा
सुस्वभावा भावचंद्रा MANANI MANAHANSA - SUSVABHAVA BHAVCHANDRA
२१. मानवी (माननी):
हारहस्ता च नृत्यांगी मानवी कुल सुंबरी । दोनों हाथों में हार धारण करके नृत्य करती अंगवाली, कला की कुल सुंदरी । माननी
२२. मानहंसा :
पृष्ठ वंशोम्दवा नृत्या मानहंसा च सुंदरी अपनी पीठ दिखाकर नृत्य करती हुई, जिसका मुख पीछे रहता है, ऐसी नृत्यांगना । मानहंसा
२३. सुस्वभावा :
दाहिना र अरवर र मावि पराको थियो का
ऊर्ध्वपादे चतुर्मगो स्वभाव करौ मस्तके दाहिना पैर ऊपर रखकर, दो हाथ मस्तक पर रखकर, विविध अंग-भंग वाली नृत्यांगना । सुस्वभावा
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