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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतीय शिल्पसंहिता KAMAL कमल TANK " AMBRALUMBI आम्रलूबी टंक DVAJ ध्वज - SUTRA सूत्र KUMB MODAK मोदक DAMRU डमरु PUTRA KAMBA कंबा MATULINGA PHAL मातुलिंग फल LEKHINI लेखिनी का शस्त्र है। वह लकड़ी जैसा होता है। उसके सिरे पर तीक्ष्ण धारवाला अस्त्र जैसा फल है, ऐसा वैजयन्तिकार कहते है। टंक का आकार लंबगोल होता है। उसे पत्थर में से बनाया जाता है। मुरली का दूसरा नाम वेणु या बाँसुरी है। द्रविड शिल्प में मूर्तिशास्त्र और लिंग विषयक जानकारी सविस्तर दी गयी है। उसमें प्रतिमा के कौन से अंग विभाग में कौन-सा आयुध कितना उंचा दिया जाये, स्कंध के समकक्ष कौन-सा, कान नासिका और छाती के समकक्ष कौन-सा आयुध रखा जाये, इस सबका वर्णन किया गया है। जैन ग्रंथ में एक जगह लिखा है कि अस्र-शस्र प्रतिमा के मस्तक से ऊंचा न होना चाहिये । लेकिन उनके इस सूत्र को पूर्ण रूपसे स्वीकृत नहीं किया गया होगा, क्योंकि प्राचीन काल की कई पुरानी मूर्तियां इस सिद्धांत के विरुद्ध भी मिलती है। सोमेश्वरदेव (१४२७-३८) के काल के 'मानसोल्लास' में तथा 'शस्त्र विनोद' में, शस्त्रों का पर्याप्त वर्णन है। चौदहवीं शताब्दी के प्रारंभ में मैथिली भाषा में लिखे गये 'वर्ण रत्नाकर' ग्रंथ में ३६ प्रकार के आयुधों का उल्लेख किया गया है। For Private And Personal Use Only
SR No.020123
Book TitleBharatiya Shilpsamhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherSomaiya Publications
Publication Year1975
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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