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अङ्ग: अष्टम्
वाहन (Vehicles)
देवी-देवताओं के अपने-अपने निश्चित वाहन होते हैं। इन वाहनों से प्रतिमाओं को पहचानने में सुविधा होती है। उदाहरणार्थ जैनतीर्थंकरों की सभी प्रतिमाएं देखने में एक-सी होती है । लेकिन प्रतिमा विशेष के 'लांछन' (चिन्ह) के द्वारा पता चलता है कि वह किस तीर्थकर की प्रतिमा है।
देवी-देवताओं के वाहन उनके स्वभाव, रुचि और विशिष्ट गुण-धर्म के सूचक होते हैं। उदाहरणार्थ, कई उग्र देव-देवताओं के वाहन प्रेत, या मृत देह (प्राणी) आदि होते हैं। चण्डी का वाहन व्याघ्र या सिंह है। खासकर सजीव प्राणी वाहन के रूप में विशेष पाये जाते हैं। वाहन का दूसरा प्रकार स्थिर-जड़ प्रासन होता है। उनमें कमलपीठ, भद्रपीठ आदि होते हैं।
NANDI
SWAN
GARUD गरुड
नंदी
हंस
AS
RA
MRUG मग
HATHI हाथी
VYAGHRA व्याघ्र
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