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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १२ भारतीय शिल्पसंहिता महर्षि शुक्राचार्य ने युगानुसार देह के तालमान कहे हैं। सत्ययुग में दश ताल (१२० अंगुल), त्रेतायुग में नवताल (१०८ अंगुल), द्वापर युग में आठ ताल (९६ अंगुल), और कलियुग के प्रारंभ में, सात ताल (८४ अंगुल) के प्रमाण का देहमान करने का आदेश दिया गया है । वर्तमान कलियुग के मध्य में साधारण मनुष्य की ऊंचाई छ: ताल (७२ से ६४ अंगुल) तक की रही है। काल के प्रभाव से मनुष्य-देह कद में छोटी होती चली गयी है । अब हम नवताल की प्रतिमा के विभाग देखें Lumin नवताप्रमाणे तालमितं स्मृतम् चतुरंङगुल भवेद्ग्रीवा तालेन हृदयं पुनः ॥१॥ नाभ्यास्तमादधः कार्या तालनकेन शोभिता नाभ्याघश्व भवेनमेंद्र भागमेकेन वा पुनः ॥ २ ॥ द्वितालौह्यायतागुरू जानुवी चतुरङ्गुलम् अंधे उसमे कार्या मुल्काव्यश्वतुरंङ्गलम् ।।३।। नवतालात्मकमिद केशान्त व्यंङगुलः कार्यमानत् शिखावधि केशान् गुरुः कार्यमान दिशावया विभजेत्सप्ताष्ट दशतालिकाम् (शुक्रनीति श्रध्याय ६ ) नौ तालमान की मूर्ति के उदय विभाग इस तरह हैं । मुख एकताल, कंठ चार अंगुल कंठ से हृदय छाती एक ताल, हृदय से नाभि एक ताल, नाभि से गुह्य भाग एक ताल, गुह्य से साथम दो ताल, पैर की घुटनी चार अंगुल पैर के नले दो ताल, पैर की घुटनी का निचला भाग चार अंगुल होते हैं। नवताल का नाप, कपाल से पैर तक का, कुशल शिल्पियों ने कहा है । कपाल से मस्तक के केश तक के तीन अंगुल विशेष लेने चाहिए। नवताल की प्रतिमा का जो प्रमाण दिया गया है, उसी तरह ७-८ - १० तालमान के प्रमाण अनुसार सब अवयव के त्रैराशिक से सभी अवयवों की कल्पना करनी चाहिए। ( शुक्रनीति - प्र. ६१०४ ) बारह से पंद्रह तालमान के वैताल, राक्षस, दैत्य और भृगऋषि 12 TALA VAITAL बेताल www.kobatirth.org 13 TALA 90 RAXAS राक्षम Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 14 TALA DAITYA दैत्य For Private And Personal Use Only 15 BHRAGU RISHI भृगु ऋषी
SR No.020123
Book TitleBharatiya Shilpsamhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherSomaiya Publications
Publication Year1975
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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