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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकीर्णक देव १६५ पाठ हाथों में अभय, मोदक, धनुष,टंक, माला, मुद्गर, अंकुश और त्रिशूल होते हैं। (५) अष्टभुजा हेरंब : सिंह का वाहन, पाँच मुख, तीन नेत्र और सूर्य-जैसे तेजस्वी, वस्त्रों से शोभित ये हेरंब गणेश विश्व के अर्थ-दाता माने जाते हैं। उनकी पाठ भुजाओं में माला, अंकुश, मोदक, परशु, कमल, सर्प, वरद, और सूंड में सुवर्णकुंभ होते है। (६) दशभुजा हेरंब : पाँच मुख की यह हेरंब की मूर्ति पांच भिन्न-भिन्न वर्गों की मानी गई है। सुवर्ण, मोती, हरा, कमल और चंद्र-जैसा उनका वर्ण है। तीन नेत्र हैं। सिंह का वाहन नाग का आभूषण है। सूर्य-जैसे तेजस्वी मुकुट में चंद्र धारण किया हुआ है। उनकी दस भुजाओं में वरद, उधमेय, मोदक, दंत, परशु (टंक), माला, मुद्गर, अंकुश, त्रिशूल और कमल धारण किया होता है। VASN SOr - पंचमुख हेरंब गणपति शुध बुध नारि सहित (७) क्षिप्र गणेश: रक्त वर्ण, चंद्र-जैसी कांति, तीन नेत्र और चार भुजावाले इन गणेश के आयुध इस प्रकार हैं : पाश, अंकुश, कल्पवृक्ष की शाखा, सुवर्ण कुंभ या दंत धारण किया होता है। (८) क्षिप्र गणपतिः हस्ति का मुख, सूर्य-जैसे तेजस्वी नेन, तरुण स्वरूप, रक्त वर्ण, मुकुट और हार से ये शोभित होते हैं। उनकी छ: भुजाओं में पाश, अंकुश, कल्पलता, स्वदंत, सर्प और बीजोर होते हैं। (९) गजानन : रक्तवर्ण, और हाथी के मुखवाले इन गणेश के हाथों में रत्नकुंभ, अंकुश, फरसी और दांत होते हैं। (१०) वक्रतुंड : बड़ा पेट, तीन नेत्र और चार हाथ होते हैं। उनमें पाश, अंकुश, वरद और अभय मुद्रा होती है। दोनों बाजू सिद्धिऋद्धि होती हैं । उनके कान बड़े होते हैं। (११) उच्छिष्ट गणेश : चूहे पर बैठे हुए, तीन नेत्र और सर्प का यज्ञोपवीत होता है। टूटा हुआ दांत, माला, परशु और मोदक उनके चार हाथों में होते हैं।। अन्य मत से बाण, धनुष, पाश और अंकुशधारी होते हैं। कमल पर नग्न स्वरूप में बैठे होते हैं। (१२) नागेश्वर (द्रविड): दायें नीचे हाथों में गदा, त्रिशूल और स्वदंत तथा बायें हाथों में पाश, चक्र, गन्नों का धनुष और बीजोर होते हैं। (१३) रात्रि गणेश : सुवर्ण के आसन पर बैठे हुए, तीन नेत्र और पीत वर्ण के इन गणेश की चार भुजायें होती हैं। पाश, अंकुश, मोदक और दांत धारण किये होते हैं। (१४) बीज गणेश : 'शिल्परत्न' ग्रंथ के अनुसार इनका स्वरूप इस प्रकार है : हाथी का मुख, बड़ा पेट, और चार भुजामों में माला, परश, दंड और मोदक है। For Private And Personal Use Only
SR No.020123
Book TitleBharatiya Shilpsamhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherSomaiya Publications
Publication Year1975
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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