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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विष्णु १०५ १. अष्टभुज विष्णु दायें चार हाथों में खड्ग, गदा, बाण और पद्म तथा बायें चार हाथों में धनुष,ढाल, शंख और चक्र होते हैं। ऐसी मूर्ति नगर के द्वार पर रखनी चाहिए। Op गोवर्धनधारी कृष्ण कालीया मर्दन कृष्ण विष्णु २. चतुर्भुज विष्णु : दायें हाथों में गदा-पद्म और बायें हाथों में शंख-चक्र होते हैं । ऐसी मूर्तियां राजभवन या श्रीमंतों के महालयों में रखनी चाहिए। ३. द्विभुज विष्णु (कृष्णावतार): बायें हाथ में गदा और दाये में शंख या चक्र होता है । पैर के पास पृथ्वी और बायीं ओर पद्मधारी लक्ष्मी होती है। वाहन गरुड होता है। ऐसी मूर्तियां घरों में रखनी चाहिए। ४. योगेश्वर विष्णु : श्वेत कमल पर पद्मासन में बैठे हुए विष्णु के चार हाथ होते हैं। ऊपर के दो हाथों में शंख-चक्र होते है। बाकी दो हाथ योगमुद्रायुक्त होते हैं । अर्धमीलित चक्षु, करंड मुकुट, सर्व आभूषण युक्त शरीर पर यज्ञोपवीत भी रहता है। उनके पीछे ब्रह्मा और शिव भी रहते हैं । पैर के पास गदा और कमल होता है। ___ कई जगह बिष्णु के चार मुख भी वर्णित किये गये हैं। देवता मूर्ति प्रकरण', 'रूपमंडन', 'विष्णु धर्मोत्तर', आदि ग्रंथों में उनके चार, छः, पाठ, बारह, चौदह और बीस भुजानों के भी स्वरूप वर्णित हैं । वे गरुड़ पर बिराजमान हैं। उनके चार मुख इस प्रकार हैं : सन्मुख मनुष्य का नरसिंह का, बाया वराह का और पीठ का मुख दृष्यमान नहीं है। फिर भी उसे स्त्री मुख कहा गया है। 'देवता मूर्ति प्रकरण' (अनंत) तथा 'रूपमंडन' और अपराजितसूत्र में विष्णु को चतुर्मुख, और बारह भुजा युक्त वर्णित किया गया है। दायें हाथों में गदा, तलवार, चक्र, बज्र, अंकुश, वरदमुद्रा और बायें हाथों में शंख, ढाल, धनुष, कमल, दंड, पाश होते हैं। श्वेत वर्ण For Private And Personal Use Only
SR No.020123
Book TitleBharatiya Shilpsamhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherSomaiya Publications
Publication Year1975
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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