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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ब्रह्मा www.kobatirth.org सावित्री ब्रह्मा की कई युग्म मूर्तियां भी पायी गयी हैं। युगल आसनस्थ बैठी हुई ब्रह्मा की मूर्ति की गोद में सावित्नी उत्कीर्ण मिलती है । और ब्रह्मा की खड़ी मूर्ति के पैरों के पास सावित्री और सरस्वती दोनों शिल्पित की जाती हैं। उसके हाथों में कमल और कमंडल दिये जाते हैं। शिवप्रसाद की प्रदक्षिणा के तीनों ओर के भद्र के गवाक्ष में ब्रह्मा सावित्री और दूसरे दो गवाक्षों में विष्णु-लक्ष्मी और उमामहेश्वर की अलिंगनयुक्त मूर्तियां खड़ी होती हैं। प्राचीन काल में ब्रह्मा के मंदिरों का भी निर्माण होता था। इसलिये चार दिशा के आठ प्रतिहारों के स्वरूप और ब्रह्मा के आठ देवायतन का वर्णन मिलता है। आठ प्रतिहारों के नाम इस प्रकार है: पूर्व में सत्य धर्म, पश्चिम में विजय-यज्ञभद्रक, उत्तर में भव- विभव और दक्षिण में पुरुषकार होते हैं। ब्रह्मापतन में मध्य में ब्रह्मा, पूर्व में धरणीधार, अग्निकोण में गणेश, दक्षिण में मातृका, नैऋत्य में सहस्राक्ष, पश्चिम में जलशायी, वायव्य में पार्वती रुद्र, उत्तर में ग्रह, ईसान में कमला । ब्रह्मा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only सावित्री ८९ ब्रह्मा सरस्वती
SR No.020123
Book TitleBharatiya Shilpsamhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherSomaiya Publications
Publication Year1975
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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