________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
खरोष्ठी की उत्पत्ति लेख VII का फोटो लिथोग्राफ त्सा.डे.मी.गे. 43, 151 और आदेश-लेख XII का ए. ई. i, 16 में) और मनसेहरा (आदेशलेख I-VIII के फोटो लिथोग्राफ ज० ए० 1888, II, 230,=से० नो. ए. ई. 1), अशोक के आदेश-लेखों में मिलती है, जिससे शिद्दापुर के अशोक आदेश-लेखों का हस्ताक्षर (फोटोलिथोग्राफ ए. ई. iii, 138-140), प्राचीनतम सिक्कों के लेख (प्रतिकृति क० क्वा. ऐ. इं. फल० 3, सं. 9, 12, 13) और ईरानी सिग्लोई (प्रतिकृति ज० ए. सो. 1895, 865 में) के अक्षर (syllables) एकदम मिलते हैं।
2. ई. पू. द्वितीय-तृतीय शती की खरोष्ठी-इन्डोग्रीक राजाओं के सिक्कों पर मिलती है, जिसकी नकल बाद के कुछ विदेशी राजाओं ने भी की है (प्रतिकृति गार्ड० वि० म्यू. के. फल० 4-21 ) ।
3. शक-काल को खरोष्ठी, ई. पू. प्रथम शती से ईस्वी प्रथम शती (१) पटिक के तक्षशिला के ताम्रपट्ट (लिथोग्राफ, ज. रा. ए. सो. 1863, 222 फल० 3. कोलोटाइप, ए. ई. IV, 56) और क्षत्रय शोडास या शडस के मथुरा के सिंह-शीर्ष तथा गांधार की कुछ मूत्तियों पर (प्रतिकृति ज. ए. सो. बं. LVIII, 144, फलक 10, Anzeig phil. hist. (Cl. WA 1896) कल्दवा पत्थर (त्सा.डे.कुं.मो. X 55, 327) और अनेक शक और कुषान राजाओं के सिक्कों पर खुदे अभिलेखों (अनुकृति गार्ड० वही, फल० 22-25) में मिलती है ।
4. पहली दूसरी शती ई. (?) की अति घसीट खरोष्ठी-इसका प्रारंभ गोंडोफरस के तख्त-ए-बाही के अभिलेख से (प्रतिकृति ज. ए. 1890, I,=से० नो. इं. 3 फल० 1, सं. 1) से होती है यही बाद के कुषान राजा कनिष्क और हुविष्क के अभिलेखों (अभिलेख की अनुकृति ज. ए. 1890, I =से० नो. ए. इं. 3, फल० से. 3, मानिक्याला पत्थर, ज० ऐ. 1896, I=से० नो. ए. इं. 6, फल० 1, 2, सुइ विहार अभिलेख, इ, ऐ. X 324, वर्डक कलश [पूर्व पृष्ठ से]
तैयार किया गया है। कुछ चिह्न माणिक्यालाना प्रस्तर और ओल्डेनवर्ग द्वारा तैयार की गई वर्डक और बिमारन के कलशों की जिलेटिन प्रतियों
से भी लिये गये हैं। 26-30, स्त. XIII गार्डनर के प्राचीन कुशान - सिक्कों के तद्रूपों के सहारे हाथ से बनाया गया है। 1-20 स्त. XIII, XIV अंक अशोक के आदेश-लेखों और बाद के अभि
लेखों के अनुरेखण या छाप के सहारे बनाये गये हैं। खरोष्ठी वर्णमाला के इससे पहले के फलक प्रि., ई. स्ट. II, 166,
फल. 11; वि., ए. ऐ., 262 क., इ. अ. (का. इं. इ. I) फल. 27; गार्डनर, कै. इ. क्वा. बि. म्यु. पृष्ठ LXX; वान सैले,
49
For Private and Personal Use Only