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लेखन-कला को प्राचीनता
कवि की भी यह कामना नहीं होती कि लोग उसकी कविताएँ पढ़ें, वह तो यही चाहता है कि उसकी कविताएं सतां कंठभूषण बनें। जहां तक हमारी दृष्टि जाती है हम तो यही पाते हैं कि आदिकाल से ही भारत में यही अवस्था रही है। संभवतः इसका कारण यह है कि हिन्दू शास्त्रों और काव्य का प्रारंभ उस समय हुआ जब लोगों को लेखन-कला का ज्ञान न था । लेखन-कला के प्रारंभ से पूर्व मौखिक शिक्षण-पद्धति का विकास हो चुका था। ऋग्वेद से इसका पता चलता है। इन कारणों से हमें आचार्यों या पण्डितों की रचनाओं में लेखन-कला के बहुत-से चिह्नों की खोज की आशा नहीं करनी चाहिए। उनमें अक्षरों या दस्तावेजों के उल्लेख बारंबार नहीं मिलेंगे। किंतु पुनः-पुनः किये गये इस अनुमान को रोकने का कोई कारण नहीं हैं कि वैदिक काल में भी मौखिक शिक्षा में और अन्य अवसरों पर हस्तलिखित पुस्तकों से सहायता ली जाती थी। इस अनुमान की पुष्टि में प्रमाणस्वरूप यह अकाट्य तथ्य उपस्थित किया जा सकता है कि ब्राह्मी वर्णमाला की रचना ध्वनिशास्त्रियों या वैयाकरणों ने की थी और वैज्ञानिक कार्यों के लिए की थी । __ महाकाव्य, पुराण, काव्य, नाटक आदि वास्तविक जीवन का चित्रण करते हैं। श्लोक-बद्ध स्मृतियों में धर्म ही नहीं बल्कि सिविल और दांडिक विधि का भी पूरा-पूरा वर्णन हैं । इसी प्रकार नीति-नाट्य- तथा कामशास्त्र की रचनाओं में भी सांसारिक विषयों का ही कलन है। इन सभी ग्रंथों में लेखन और विभिन्न प्रकार के प्रलेखों के अनेक उल्लेख मिलते हैं। खेद है कि रामायणमहाभारत को छोड़कर इनमें किसी भी अन्य ग्रंथ को उसके वर्तमान रूप में प्राचीनतम अभिलेखों से पुराना मानना संभव नहीं है। रामायण-महाभारत की साक्षी भी दोष-मुक्त नहीं है, क्योंकि यह सिद्ध नहीं किया जा सकता कि इनका प्रत्येक शब्द अत्यंत प्राचीन है। प्रो० जैकोबी ने रामायण के विभिन्न पाठ-भेदों की परीक्षा कर दिखलाया है कि रामायण आज जिस रूप में उपलब्ध है उसका अधिकांश मूल रामायण में न था ।1 हमारी जानकारी में महाभारत की जितनी पांडुलिपियाँ उपलब्ध हैं उनमें उतने पाठ-भेद नहीं हैं। किंतु इसके अधिकांश अध्यायों के अस्तित्व के संबंध में जो प्रमाण हैं वे 11वीं शती में ही मिलते हैं 132 इसलिए इन महाकाव्यों की साक्षी में हमें पर्याप्त सावधानी बरतनी पड़ेगी। किंतु इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इनमें
30. देखि. आगे 5
31. जैकोबी, डास रामा. 8 तथा आगे 32. बु, इं. स्ट. II, पृ. 27 तथा आगे में किसे
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