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भारतीय पुरालिपि-शास्त्र से ळि 69 से 102 के बराबर हैं। इसी प्रकार आगे भी गिनती होती है। किन्तु बर्मा के वियनी राजपुस्तकालय की पालि के हस्तलिखित ग्रंथों में मुझे क से क: तक =1 से 12; ख से खः तक= 13 से 24 और इसी प्रकार आगे भी मिला । लंका की बाराखड़ी में ऋ, ऋ, ल और ल भी हैं । वहां क से कः तक=1 से 16 के बराबर और ख से खः तक 17 से 32 के बराबर होता है । और इसी प्रकार आगे भी गिनती होती है। इससे अक्षरों के मूल्य बदल जाते हैं ।428 फासबोल ने मुझे यह सूचना देने की कृपा की है कि पालि के हस्तलिखित ग्रंथों में जिनका पता उन्हें है केवल अंतिम दो प्रणालियाँ ही प्रचलित हैं। (बर्नेल द्वारा उल्लिखित प्रणाली नहीं मिलती।) उनका यह भी कहना है कि सारी बाराखडी समाप्त हो जाने पर लंका की पोथियों में 2 क, 2 ख से गणना होती है। और यह कि स्यामी पोथियों के पृष्ठांकन की प्रणाली वही है जो बर्मा के ग्रंथों की है।
428. मिला. गुरुपूजाकौमुदी, 110.
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