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भारतीय पुरालिपि-शास्त्र आदि (ब्राउ.); (छ) राग (ब्राउ.); (ज) अरि (ब्राउ.); (झ) काया (अभिलेख ) ? ____7=(क) ऋषि, मुनि (पिंग., वरा.) या अत्रि, इनमें प्रथम (ब्राउ.); (ख) स्वर (पिंग., वरा., ब्राउ.); (ग) अश्व (वरा., ब्राउ.); सूर्य के घोड़े (घ) अग आदि (वरा. बेरू., बर्ने.); (च) धातु शरीर के तत्त्व (ब्रांउ.); (छ) छंदस (ब्राउ.); (ज) धी (बेरू.) ? (झ) कला (बाउ.) ?
8= (क) अनुष्टुभ (पिंग o); (ख) वसु (पिंग., वरा.); (ग) अहि आदि (बेरू., बर्ने.); (घ) गज--आठ दिशाओं के हाथी आदि (बेरू., बर्ने.; (च) मङ्गल, भूति (बेरू., ब्राउ.)12; (छ) सिद्धि (हस्त. ग्रंथ)।
9= (क) अंक (वरा., ब्राउ.); (ख) नंद (वरा., बेरू.); (ग) छि आदि (बेरू.); (घ) गो, ग्रह (बेरू. ब्राउ., बर्ने.); (च) निधि (बर्ने.); (छ) पवन (बेरू.) (?)। ___10=दिशः आदि (पिंग., वरा., बर्ने); (ख) रावणशिरस् (बेरू.); (ग) अवतार (प्राउ.); (घ) कर्मन् (बेरू.) दस गृह्य कर्म; (च) खेन्दु, (बरू.) ख-- आकाश %3D0, इन्दु-1 == 10413 1 ___11= (क) रुद्र (पिंग., वरा., बेरू.) या ईश, शिव आदि (वरा., बरू.), एकादश रुद्रों में प्रथम; (ख, ग) अक्षौहिणी, लाभ (ब्राउ.) (?)।
12 = (क) आदित्य, अर्क, आदि (पिंग., वरा., बेरू.); (ख)व्यय (ब्राउ.) (?) । _____13== (क) विश्वेदेवाः, संक्षिप्त रूप में विश्व (वरा., बेरू.) 414 , या काम जो उनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध है (ब्राउ.); (ख) अतिजगती (वरा.),एक छंद जिसमें प्रत्येक पद में 13 वर्ण होते हैं; (ग) अघोष (जगडूचरित) 415 =अघोष व्यंजन ।
14= (क) मनु (वरा., बेरू.); (ख) इन्द्र (वरा., बेरू.); (ग) लोक (ब्राउ.) ।
15= (क) तिथि (वरा., बेरू.); (ख) अहन् (ब्राउ.); (ग) पक्ष (ब्राउ.) अर्थात् 15 दिन ।
411. मिला. ए. ई. 324, पंक्ति 48. 412. मिला. अष्टमङ्गल। 413. देखि. कोनो, Deutsche. Litt. Int. 1897 414. मिला. एफ. ई. हाल, विष्णुपुराण, III, 192. 415. जि. बे, वी. आ. CXXVI, 5, 58
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