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संख्यांक-लेखन
1-(क) रूप (ज्यो., बख्शा., पिंग., वरा.); (ख) इंदु, शशि, शीतरश्मि आदि (वरा., बेरू., ब्राउ.) या संक्षेप में रश्मि (बेरू.); (ग) भू. मही, आदि (वरा., बेरू., ब्राउ.); (घ) आदि (बेरू.); (च) पितामह (बेरू.); (छ) नायक (ब्राउ.); (ज) तनु (ब्राउ.) अर्थात् शरीर ।
2= (क) यम, यमल (वरा., बर्ने.); (ख) अश्विन, दस्र (वरा., बर्ने); (ग) पक्ष (वरा., बेरू.); (घ) कर आदि (वरा., बर्ने); (च) नयन आदि (वरा. बेरू., बर्ने); (छ) बाहु (ब्राउ.); (ज) कर्ण (ब्राउ.); (झ) कुंटुंब यानी पति-पत्नी (ब्राउ.); (ट) रविचन्द्रौ (बेरू.)।
3= (क) अग्नि, होतृ 05 आदि (वरा., बेरू., बर्ने,); (ख) रामाः =तीन राम (वरा., ब्राउ.); (ग) गुण (वरा.), त्रिगुण (बर्ने.); (घ) त्रिजगत्, लोक (बेरू.); (च) त्रिकाल (बेरू.); (छ) त्रिगत 106 (बेरू.); (ज) सहोदरा: 407 (ब्राउ.); (झ) त्रिनेत्र आदि (ब्राउ.)।
4 = (क) अय, आय (ज्यो.), कृत108 (वरा., बेरू.); (ख) वेद, श्रुति (पिंग., वरा., बेरू.); (ग) अब्धि, जलधि आदि (पिंग., वरा., बेरू., बर्ने.), संक्षिप्त रूप में जल (वरा.), दधि (बेरू.); (घ) दिश् (बेरू.); (च) युग (ब्राउ.), (छ) बंधु (ब्राउ.) 409 ; (ज) कोष्ठ (ब्राउ.)?; (झ) वर्ण (हस्त. ग्रं.)। ____5= (क) इन्द्रिय आदि (पिंग., वरा., बर्ने.); (ख) अर्थ, विषय आदि इंद्रियों के (वरा., बेरू.); (ग) भूत (पिंग., वरा., बेरू); (घ) इषु (काम के वाण) आदि (वरा., बेरू., बर्ने.); (च) पाण्डव, संक्षिप्त रूप में (पाण्डु)-सुत, -पुत्र (ब्राउ.); (छ) प्राण (ब्राउ.); (ज) रत्न10 (बेरू.) :
___6= (क) रस (बख्शा ., पिंग, वरा.; बेरू.); (ख) ऋतु (पिंग., वरा., बेरू.); (ग) अंग (वेदांग) (बेरू.); (घ) मासार्द्ध (बेरू.); (च) दर्शन
___405. देखि. पञ्चसिद्धान्तिका 8, 6. यह अग्नि का पर्याय होगा क्योंकि देवों के होत-पुरोहित वही हैं।
400. देखि. व्यो. रो., व्यो., इसी शब्द के अंतर्गत । 407. युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन ।
408. व्यो. रो., व्यो. भी इसी भाँति, इसी शब्द के अंतर्गत। संभवतः. कृत शब्द कृतादियुग के लिए आया है ।
409. राम, लक्ष्मण आदि । 410. देखि. आप्टे, संस्कृत-डिक्शनरी, इसी शब्द के अंतर्गत ।
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