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तेलुगू-कन्नड़ लिपि
(क) पश्चिम में, वैजयंती या बनवासी के कदंब अभिलेखों (फल. VII, स्त. XII, XIII,) और वातापी या बादामी के पुराने चालुक्यों जैसे कीर्तिवर्मन प्रथम और मङ्गलेश (फल, VII, स्त. XIV), पुलकेशिन द्वितीय और विक्रमादित्य प्रथम (कभी-कभी) के अभिलेखों में मिलता है।
(ख) पूरब में, शालंकायन पट्टों और वेंगी के प्रथम दो चालुक्यों (विष्णुवर्धन प्रथम और जयसिंह प्रथम) के पट्टों में (फल. VII, स्त. XVII314) । शालंकायन पट्टों को चौथी शती का माना जाता था। 31 पर इनकी तिथि अनिश्चित है ।316 कदंब दानपत्रों में कुछ पांचवीं शती के हैं और कुछ छठी शती के, क्योंकि काकुस्य वर्मन जिसने सबसे पुराना कदंब दानपत्र जारी किया था, गुप्त सम्राटों का, संभवतः समुद्रगुप्त का, समसामयिक धा ।17 उनके वंशजों ने उसके बाद राज्य किया। सन् 566-67 और 596-97 ई. के बीच कीत्तिवर्मन प्रथम ने कदंब वंश की सत्ता समाप्त कर दी । पुराने चालुक्य अभिलेखों की तिथि सन् 578 और 660 के बीच पड़ती है।318
इस काल में पश्चिमी और पूर्वी के प्रलेखों के अक्षरों में पर्याप्त अंतर नहीं पाया जाता। शालंकायन पट्टों की लिपि319 फल. VII, स्त. XIII की लिपि से बहुत मिलती-जुलती है : सातवीं शती के पूर्वार्द्ध में चालुक्यों के वातापी और वेंगी के अभिलेखों के अक्षरों में करीब-करीब पूर्ण समानता है ।320 किन्तु स्त.
314. मिला. शालकायन अभिलेखों की प्रतिकृतियों से जो ब. ए. सा. इं. 4. फल. 24; इं. ऐ. V, 176; ए. ई. IV, 144 पर है, कदंब अभिलेखों की प्रतिकृतियों से जो इं. ऐ. VI, पृ. 23 तया आगे; VII, पृ. 38 तथा आगे; ज. बा. ब्रा. रा. ए. सो. XII, 300 पर हैं; पश्चिमी चालुक्यों के अभिलेखों से जो इं. ऐ. VI, 72, 75; VIII, 44, 237; IX, 100; X, 58; XIX, 58 पर हैं और पूर्वी चालुक्यों के अभिलेखों से जो ब. ए. सा. इं. पै. फल. 27 पर हैं।
315. ब. ए. सा. इं. 4. XVI, फल. 1. 316. फ्लीट इं. ऐ. XX,94. 317. एकेडेमी 1895, 229.
318. देखि. फ्लीट की चालुक्यों की तिथि, III, तालिका 1.2 पर ई. ऐ. XX, प. 96 तथा आगे।
319. ब. ए. सा. इं. पै फल. 1.
320. मिला. इं. ऐ. VI, 72; और ब., ए. सा. इं. पै. फलक. 27 की प्रतिकृति से ।
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